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Navratri 2025 Ashtami: आज है अष्टमी, सुबह में सिर्फ इतने मिनट है कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि

Navratri 2025 Ashtami Shubh Muhurt: नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है. आइए जानते हैं अष्टमी पर कन्या पूजन की विधि और क्या है पूजा के लिए शुभ मुहूर्त?

Kanya Pujan Kanya Pujan

Kanya Pujan: नवरात्रि के नौ पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को माता महागौरी की आराधना की जाती है. इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है. ऐसी धार्मिक मान्यताएं है कि महाष्टमी पर कन्या पूजन करने से भक्तों की सारी मनोकामानएं पूरी होती हैं. इस साल शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि का कन्या पूजन 30 अक्टूबर दिन मंगलवार को किया जाएगा. इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है. नवरात्रि में कन्या पूजन नारी शक्ति के सम्मान का प्रतीक है.

महाष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
1. अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन के तीन शुभ मुहूर्त हैं. आप अपनी सुविधानुसार किसी भी शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन कर सकते हैं.
2. कन्या पूजन के लिए 30 सितंबर को पहला शुभ मुहूर्त सुबह 5:01 बजे से लेकर सुबह 6:13 बजे तक रहेगा.
3. कन्या पूजन के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगा.
4. आप अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच भी कन्या पूजन कर सकते हैं.

माता महागौरी की महिमा और पूजा विधि
माता महागौरी को विवाह बाधाओं के निवारण और जीवन में सुख-शांति के लिए पूजा जाता है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या के बाद माता का गौर वर्ण हुआ. अष्टमी पर कन्या पूजन से पहले माता महागौरी की पूजा होती है. यह पूजा पीले रंग के वस्त्र धारण करके करनी चाहिए. इस दिन सुबह स्नानादि के बाद सबसे पहले देवी मां के सामने एक घी का दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. माता गौरी की पूजा में सफेद या पीले फूल अर्पित करना चाहिए. फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. पूजा के अंत में देवी की आरती उतारें और अपनी मनोकामना कहें.

कन्या पूजन की विधि
1. कन्या पूजन के लिए 1 से 10 वर्ष की कन्याओं को घर आने के लिए आमंत्रित करें.
2. कन्या पूजन के दिन नौ से अधिक कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ होता है. एक छोटे बालक को भी बुलाएं, जिसे भैरव का स्वरूप माना जाता है.
3. कन्या पूजन के लिए हलवा और पूड़ी का प्रसाद तैयार करें.
4. कन्याएं और बटुक (छोटे लड़के) घर आ जाएं, तो उनका जल से पैरे धोएं और उनके चरण स्पर्श करें.
5. उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं.
6. फिर उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं. इसके बाद कन्याओं और लड़के की कलाइयों पर मौली बांधें.
7. इसके बाद मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
8. अंत में उन्हें गिफ्ट्स दें. उनके पैर छुएं और उन्हें उनके घर भेजने जाएं.