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Nirjala Ekadashi 2025: इस बार एक नहीं दो दिन रखा जाएगा निर्जला एकादशी व्रत, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी की पूजा विधि

Nirjala Ekadashi: निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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हाइलाइट्स
  • निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की होती है प्राप्ति

  • इस दिन दान-पुण्य करना माना जाता है विशेष शुभ 

हिंदू धर्म में सभी 24 एकादशियों का महत्व बताया गया है लेकिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) उनमें सबसे ऊपर है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सिर्फ एक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से 24 एकादशियों का फल मिलता है. निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) की पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं इस साल कब निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 

कब है निर्जला एकादशी 
इस साल निर्जला एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. पहले दिन स्मार्त निर्जला एकादशी का व्रत और दूसरे दिन वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. हिंदू पंचाग के मुताबिक एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को रात 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा. स्मार्त निर्जला एकादशी व्रत को 6 जून को और वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत 7 जून 2025 को रखा जाएगा. 

निर्जला एकादशी का महत्व
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन दान-पुण्य करना विशेष शुभ माना जाता है. ऐसा करने से धन की कमी नहीं होती है. माना जाता है कि व्‍यासजी के कहने पर भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा था. इसी के चलते इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. भीम ने इस एकादशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए रखा था. इस व्रत को रखने से भक्त के जीवन में खुशहाली आती है. 

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निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि
1. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
2. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे पीले वस्त्र धारण करें.
3. इसके बाद विष्णु भगवान ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.
4. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें. 
5. इसके बाद विधि-विधान से पूजा करें.
6. भगवान विष्णु को पीले फल और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं.
7. भगवान विष्णु को पंजीरी का भोग जरूर लगाएं. यह उन्हें अति प्रिय है.
8. ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें. रात को दीपदान जरूर करें.
9. निर्जला एकादशी के अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान ध्यान करने के बाद जरूरतमंदों को दान दें. 
10. इसके बाद पारण करें और सभी को प्रसाद खिलाएं.

निर्जला एकादशी के दिन नहीं करें ये काम 
1. निर्जला एकादशी के दिन तुलसी को स्पर्श नहीं करें.
2. इस दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करें.
3. तामसिक भोजन न करें.
4. इस दिन जमीन पर सोएं.
5. निर्जला एकादशी व्रत में अन्न और जल ग्रहण नहीं करें.
6. इस दिन चावल का सेवन नहीं करें.
7. इस दिन बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए.
8. निर्जला एकादशी के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.