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उस pavagadh temple की कहानी जानिए, जहां पीएम मोदी 500 साल बाद फहराएंगे पताका

pavagadh temple: प्रधानमंत्री मोदी 18 जून को गुजरात के पावागढ़ में मां काली शक्तिपीठ पर धव्जा लहराने पहुंचेंगे. पीएम के लिए ये मौका और खास इसलिए हो जाता है क्योंकि 18 जून को ही पीएम की मां का 100वां जन्मदिन भी है.

पावागढ़ मंदिर में 500 साल बाद पताका फहराएगा पावागढ़ मंदिर में 500 साल बाद पताका फहराएगा
हाइलाइट्स
  • पावागढ़ मंदिर में 500 साल बाद फहराएगा पताका

  • 2000 भक्त एक साथ कर पाएंगे दर्शन

गुजरात में वडोदरा से करीब 46 किमी दूर पावागढ़ की चोटी पर पूरी शान से  मां काली अपने दिव्य स्वरूप में विराजमान हैं. पावागढ़ का ये मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठ में से एक है और यहां साढ़े तीन हजार फीट ऊंचे पहाड़ की चोटी पर माता काली ने अपना दरबार सजाया है.

दुनियाभर से आते हैं भक्त-
पावागढ़ भवानी के अनुपम दरबार में उनका ऐसा ओजमयी स्वरूप बसता है, जिसके दर्शन के लिए दुनिया भर के भक्त खिंचे चले आते हैं. मां के इस आंगन में अनंतकाल से भक्ति की भागीरथी बहती चली आ रही है. लेकिन अब मां काली के इस शिखर पर जल्द ही धर्म की ध्वजा लहराने वाली है. पहले से कहीं भव्य और आकर्षक महाकाली के इस ऐतिहासिक मंदिर के शिखर पर सैकड़ों सालों बाद पहली बार ध्वज पताका लहराने वाली है. 

500 साल बाद फहराएगा पताका-
18 जून की सुबह देश के प्रधानमंत्री खुद मां काली के दरबार में ये पताका फहराने वाले हैं. पीएम मोदी जगत जननी मां महाकाली के दर्शन करेंगे और 500 साल बाद मंदिर पर ध्वजा चढ़ाएंगे. नरेंद्र मोदी इस शक्तिपीठ मंदिर में पहली बार जा रहे हैं. जब वो गुजरात के सीएम थे, तब भी इस मंदिर में नहीं आए थे. कई सालों से इस मंदिर का शिखर खंडित था. हिंदू मान्यता के मुताबिक खंडित शिखर पर ध्वजा नहीं चढ़ाई जाती. लेकिन अब मंदिर का पुनर्निर्माण पूरा हो चुका है. मंदिर अपने पुराने भव्य और दिव्य स्वरूप में आ चुका है. सोने से मढ़ा हुआ मां महाकाली का शिखर भी तैयार है. तो अब पीएम के हाथों यहां पूरे विधि-विधान के साथ शिखर पर ध्वजा चढ़ाई जाएगी.
प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से सीधे पावागढ़ पर्वत पर बनाए गए हेलीपैड पर लैन्ड करेंगे. मां के दर्शन करेंगे और यहां से विरासत वन जाएंगे. पावागढ़ में ही बने इस विरासत वन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए बनवाया था.

मोहम्मद बेगड़ा ने किया था हमला-
धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पावागढ़ मंदिर का इतिहास 500 सालों से भी पुराना है. 1540 में मुगल आक्रमणकारी मोहम्मद बेगड़ा ने पावागढ़ पर हमला कर दिया था और मंदिर के शिखर को खंडित कर दिया था. मंदिर के शिखर को तोड़कर यहां सदानशाह पीर की दरगाह बना दी गई थी और तब से मंदिर का शिखर खंडित था. 

एक साथ 2000 भक्त कर पाएंगे दर्शन-
अब इस मंदिर का नवीनीकरण कर दिया गया है. 2017 में मंदिर के नव निर्माण का कार्य शुरू हुआ. करीबन साढ़े चार साल बाद मंदिर पूरी तरह से अपने गगनचुंबी शिखर पर सोने के कलश के साथ ध्वज पताका लहराने के लिए तैयार है. इस मंदिर को भव्य और आकर्षक बनाने में करीब सवा सौ करोड़ का खर्च आया है. अब एक साथ तकरीबन 2000 श्रद्धालु माता का दर्शन कर सकते हैं. मंदिर के अंदर एक अन्न क्षेत्र भी बनाया गया है जहां पर 500 श्रद्धालु एक साथ भोजन कर सकते हैं.
पावागढ़ मंदिर में गुजरात बल्कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लोग भी बड़ी तादाद में आते हैं. नवरात्रि और पूर्णिमा के मौके पर पूरी श्रद्धा और भक्ति से मां के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. अब सैकड़ों साल बाद मंदिर के शिखर पर ध्वजा लहराने का मौका आया है तो इन भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं है.

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