
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन 9 अगस्त दिन शनिवार को है.रक्षाबंधन के दिन जहां बहनें अपने भाई के सुखी जीवन और लंबी उम्र की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन को जीवनभर रक्षा करने का वचन देते हैं. बहनें राखी खरीदते समय उसके रंग का ध्यान रखती हैं. भाई को राखी बांधते समय उसमें 3 गांठें ही लगाती हैं. ऐसा क्यों करती हैं और इसके पीछे क्या धार्मिक महत्व है आइए जानते हैं.
राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों के मुताबिक 9 अगस्त 2025 को राखी बांधने का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा. इस तरह से राखी बांधने के लिए पूरे 7 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा. इस बार राखी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इन शुभ योगों में भी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं.
राखी के किस रंग का क्या होता है मतलब
1. लाल रंग की राखी: आपको मालूम हो कि राखी का लाल रंग आत्मविश्वास, साहस और शक्ति से जुड़ा हुआ होता है. बहन जब अपने भाई की कलाई पर लाल रंग की राखी बांधती हैं तो इससे भाई में निडरता और आत्मविश्वास जैसे गुण आते हैं.
2. पीले रंग की राखी: राखी का पीला रंग ज्ञान और तरक्की से जुड़ा हुआ माना जाता है. बहनें अपने भाई की कलाई पर पीले रंग की राखी बांधकर उसके ज्ञान और तरक्की में वृद्धि चाहती हैं.
3. हरे रंग की राखी: हरे रंग की राखी भाई के लिए बेहद शुभ मानी जाती है. हरा रंग शांति और संतुलन का प्रतीक है. यदि आपका भाई जीवन में किसी तरह के तनाव या उलझन से जूझ रहा हो तो उसकी कलाई पर हरे रंग की राखी बांधें.
4. सफेद रंग की राखी: सफेद रंग की राखी शुभ मानी जाती है. यदि आपका भाई गुस्से वाला है तो उसकी कलाई पर सफेद रंग की राखी बांधे. राखी का सफेद रंग पवित्र मन और गुस्से पर नियंत्रण के लिए होता है.
5. काले रंग की राखी: काले रंग की राखी नहीं बांधनी चाहिए. राखी का काला रंग जीवन में भाई के जीवन में नकारात्मकता और सफलता की राह में रुकावट पैदा कर सकता है.
6. रेशमी धागे की राखी: रेशमी धागे से बनी राखियां सुरक्षा का संकेत देती हैं. हमेशा रेशमी धागे वाली राखी खरीदें. प्लास्टिक या रबर वाली राखियों में सकारात्मक ऊर्जा नहीं होती है. भाई की कलाई पर बांधने के लिए हमेशा प्राकृतिक धागे से बनी राखी खरीदें.
राखी में तीन गांठ लगाने के पीछे क्या है मान्यता
बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के दौरान तीन गांठ लगाती हैं. इन तीन गांठों को लगाने के पीछे मान्यता है कि ये त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है
राखी की पहली गांठ: राखी की पहली गांठ ब्रह्मा जी को समर्पित है, जो सृष्टि के रचयिता हैं. धार्मिक मान्यता है कि इससे जीवन में अच्छी शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है.
राखी की दूसरी गांठ: राखी की दूसरी गांठ भगवान विष्णु को समर्पित है, जो जगत पालनहार हैं. दूसरी गांठ भाई की रक्षा, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए होती है.
राखी की तीसरी गांठ: राखी तीसरी गांठ महादेव को समर्पित है, जो संहारक और मोक्षदाता हैं. तीसरी गांठ बुरी शक्तियों और बुरे कार्यों से बचाव में मदद करती है.
तीनों गांठों से भाई-बहन का रिश्ता होता है और मजबूत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तीनों गांठों से भाई-बहन का रिश्ता और मजबूत होता है. इससे भाई के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. जब बहन ये गांठें बांधती है, तो वह न केवल अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, बल्कि उनके रिश्ते में अटूट विश्वास और प्यार की डोर भी मजबूत करती है.