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Bholenath: देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम जैसी है महाराष्ट्र के परली वैजनाथ मंदिर मान्यता, जानें दोनों मंदिरों के बारे में

झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम है. सावन के महीने में इसका महत्व बढ़ जाता है. महाराष्ट्र के बीड जिले में भी एक परली वैजनाथ मंदिर है. इन दोनों मंदिरों की मान्यता एक जैसी है और ये मान्यता रावण से जुड़ी है.

Parli Vaijnath Temple and Baba Baidyanath Dham (Photo/Instagram) Parli Vaijnath Temple and Baba Baidyanath Dham (Photo/Instagram)

कल यानी 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है. इस महीने को भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर हैं, जो दुनियाभर में फेमस हैं. ऐसा ही एक मंदिर बैद्यनाथ धाम है. यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. बैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर में है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता लंकापति रावण से जुड़ी है. लेकिन महाराष्ट्र में भी एक ऐसा ही मंदिर है, जिसकी मान्यता भी रावण से जुड़ी है. इस मंदिर को परली वैजनाथ कहा जाता है. दोनों मंदिरों की मान्यता एक जैसी है. चलिए आपको बाबा बैद्यनाथ और परली वैजनाथ की मान्यता और मंदिर के बारे में बताते हैं.

बैजनाथ धाम की कथा-
शिवपुराण और रामायण के हिसाब से रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय में कठोर तपस्या की. उसने एक-एक करके अपने 9 सिर शिवलिंग पर चढ़ा दिए. जब वो 10वां सिर चढ़ाने वाला था, तभी भगवान शिव प्रकट हुए और वर मांगने को कहा. रावण ने भगवान शिव को अपने साथ लंका चलने को कहा. भगवान शिव इसके लिए तैयार हो गए. लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी. उन्होंने कहा कि अगर रावण शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी रखेगा तो वो वहीं स्थापित हो जाएंगे.

रावन शिवलिंग को लेकर लंका की ओर जाने लगा. रास्ते में उसे लघुशंका लगी. लघुशंका लगने पर रावण ने एक ग्वाले को शिवलिंग पकड़ने को कहा. लेकिन ग्वाला ज्यादा देर तक शिवलिंग को अपने हाथ में नहीं रख पाया और उसे वहीं धरती पर रख दिया. जिसके बाद भगवान शिव वहीं स्थापित हो गए. उस जगह को बैद्यनाथ धाम कहा गया. रावण ने शिवलिंग को ले जाने की काफी कोशिश की, लेकिन शिवलिंग हिला तक नहीं. इसके बाद रावण ने शिविलिंग पर लात मारी और वहां से चला गया. लोगों का कहना है कि अभी तक रावन के लात मारने के कारण बैजनाथ का ज्योतिर्लिंग थोड़ा सा टेढ़ा है. झारखंड के बैद्यनाथ धाम और महाराष्ट्र के वैजनाथ मंदिर की मान्यता एक जैसी है. दोनों मंदिरों को लेकर यही मान्यता जनमानस में प्रचलित है.

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परली वैजनाथ मंदिर-
परली वैजनाथ मंदिर महाराष्ट्र के बीड जिले के मध्य में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर 75-80 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है. मंदिर के दरवाजों पर पीतल की परत चढ़ी है. गर्भगृह के भीतर पवित्र शिवलिंग विराजमान है. भक्तों को इस मंदिर में शिवलिंग को छूने की इजाजत है. यह मंदिर मजबूत दीवारों और विशाल गलियारों से घिरा हुआ है.

बाबा बैद्यनाथ धाम-
बाबा बैद्यनाथ मंदिर झारखंड के देवघर में स्थित है. यह भारत के ज्योतिर्लिंगों में एक है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा ने शिव मंदिरों का निर्माण किया था. मुख्य मंदिर, मुख्य मंदिर का केंद्र और मंदिर का प्रवेश द्वार परिसर के तीन अलग-अलग तत्व हैं. 72 फुट ऊंची कमल के आकार की यह इमारत पूर्व की तरफ है. गिधौर के महराजा पूरन सिंह ने 3 सोने के बर्तन दिए. इसके अलावा 8 पंखुड़ियों वाला कमल रत्न और त्रिशूल के आकार में 5 ब्लेड का एक सेट मौजूद है.

(ये स्टोरी अमृता सिन्हा ने लिखी है. अमृता जीएनटी डिजिटल में बतौर इंटर्न काम करती हैं)

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