Shardiya Navratri 2025: 21 या 22 सितंबर, कब शुरू होगी शारदीय नवरात्रि? जानिए नौ दिन कौन-कौन सी देवियों की होती है पूजा?
शारदीय नवरात्रि में नौ दिन तक अलग-अलग देवियों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में शैलपुत्री से लेकर मां सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि में देवी के स्वरूपों और रंगों का भी काफी महत्व है. नवरात्रि में हर दिन के रंग का अलग महत्व होता है. आइए इस बारे में जानते हैं.
गणेश उत्सव के बाद अब देश भर में नवरात्रि की तैयारी चल रही है. शारदीय नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है. नवरात्रि को मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि का यह पावन पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलता है. यह नवरात्रि साल में चार नवरात्रियों में से सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इसे महा नवरात्रि भी कहा जाता है. नवरात्रि में नौ देवियों का काफी ज्यादा महत्व है. आइए इस बारे में जानते हैं.
कब शुरू होगी नवरात्रि?
शारदीय नवरात्रि इस साल कब शुरू होगी? इसको लेकर काफी कन्फ्यूजन है. शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शुरू होती है.
इस साल ये तिथि 22 सितंबर को शुरू हो रही है. शारदीय नवरात्रि इस बार 22 सितंबर को शुरू हो जाएगी.
शारदीय नवरात्रि में सबसे पहले घटस्थापना की जाती है. घटस्थापना यानी कलश स्थापना. कलश स्थापना (घटस्थापना) शारदीय नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण और शुभ कार्य है.
शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना प्रतिपदा तिथि के दिन सुबह शुभ मुहूर्त में किया जाता है. मान्यता है कि कलश में मां दुर्गा का वास होता है.
नवरात्रि में घर या मंदिर में कलश स्थापना करने से पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की शक्ति का आह्वान होता है. इस साल 22 सितंबर को घटस्थापना की जाएगी.
कौन-सी नौ देवियों की होती है पूजा?
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. यह नौ देवियां नवदुर्गा कहलाती हैं. हर दिन एक देवी की विशेष पूजा होती है. इन नौ रूपों की आराधना करने से साधक को सुख, शांति, शक्ति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मां शैलपुत्री: मां शैलपुत्री नवरात्रि की प्रथम देवी है. ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने की वजह से शैलपुत्री कहलाती हैं. इनका वाहन बैल है और दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इनका यह स्वरूप तपस्या और संयम का प्रतीक है. इनके दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है.
मां चंद्रघंटा: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. इनके माथे पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी है. इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है और इनके पास दस हाथ हैं.
मां कूष्मांडा: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ब्रह्मांड की सृष्टि इनकी हल्की मुस्कान से हुई थी, इसलिए इनका नाम कूष्मांडा पड़ा.
मां स्कंदमाता: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. ये भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.
मां कात्यायनी: छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रकट होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा गया है.
मां कालरात्रि: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. यह नवरात्रि का सबसे उग्र और शक्तिशाली स्वरूप है. इनका रंग काला है लेकिन हृदय हमेशा कल्याणकारी और करुणामय है.
मां महागौरी: शारदीय नवरात्रि के अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. इनका स्वरूप अत्यंत कोमल और सौम्य है. इनका वर्ण चंद्रमा के समान उज्ज्वल है और वाहन बैल है.
मां सिद्धिदात्री: नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. यह देवी सभी सिद्धियों और शक्तियों की दात्री हैं. नवरात्रि के अंतिम दिन इनकी आराधना का विशेष महत्व है. इसी दिन व्रत का समापन भी किया जाता है.
शारदीय नवरात्रि
नवरात्रि के 9 दिन रंग कौन-से हैं?
शारदीय नवरात्रि में प्रत्येक दिन का एक विशेष रंग होता है. उस दिन पूजी जाने वाली देवी के स्वरूप और शक्ति का प्रतीक है. इन रंगों के वस्त्र पहनकर पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है. ये रंग साधक के जीवन में संतुलन, समृद्धि और सुख-शांति लाने में सहायक होते हैं.
नवरात्रि के पहले दिन 22 सितंबर को मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. इस दिन पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है. यह रंग खुशहाली और नई शुरुआत का प्रतीक है.
23 सितंबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. इस दिन हरा रंग धारण करने से जीवन में शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है.
24 सितंबर को मां चंद्रघंटा की आराधना की जाएगी. इस दिन का रंग ग्रे है जो स्थिरता और दृढ़ निश्चय का प्रतीक माना जाता है.
चौथे दिन 25 सितंबर को मां कूष्मांडा की पूजा होती है. इस दिन नारंगी रंग पहनना शुभ रहता है. यह रंग उत्साह, रचनात्मकता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है.
26 सितंबर को मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है. इस दिन सफेद रंग पवित्रता, शांति और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
छठे दिन 27 सितंबर को मां कात्यायनी की पूजा होती है. इस दिन लाल रंग धारण करने से शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है.
सातवें दिन 28 सितंबर को मां कालरात्रि की पूजा होती है. इस दिन का रंग नीला है जो साहस और निडरता का प्रतीक है.
आठवें दिन 29 सितंबर को मां महागौरी की पूजा की जाएगी. इस दिन गुलाबी रंग पहनना शुभ माना गया है. यह प्रेम और करुणा का प्रतीक है.
नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन 30 सितंबर को मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. इस दिन का रंग बैंगनी है जो आध्यात्मिकता, सिद्धि और मोक्ष का प्रतीक है.
शारदीय नवरात्रि का भारतीय संस्कृति और आस्था में अत्यंत विशेष स्थान है. यह पर्व मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है. इसमें भक्त नौ दिनों तक व्रत, पूजा और साधना करते हैं. नवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण, आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर भी है. इन दिनों में कलश स्थापना, जौ बोना, देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा, और दिन-वार रंगों का पालन करने से जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और सफलता आती है.