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14 साल तक रहे अंधे फिर परिक्रमा करने से वापिस आ गई आंखों की रोशनी, पढ़िए नर्मदा माई के भक्त सलीम पठान की कहानी   

जब सलीम पांचवी कक्षा में पढ़ते थे तब उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. तमाम कोशिशे के बाद भी वह नहीं लौट पाई. लेकिन नर्मदा माई की परिक्रमा करने के सलीम की आंखों की रोशनी लौट चुकी है. बता दें, सलीम 14 साल तक अंधे रहे.

सलीम पठान सलीम पठान
हाइलाइट्स
  • 14 साल बाद आंखों की रोशनी वापस आने पर बने नर्मदा भक्त

  • 21 दिन फलाहार करने के बाद 8 दिन किया था नर्मदा माई के नाम का जप

भारत को उसकी विविधता के लिए जाना जाता है. मध्य प्रदेश के मंडला में साम्प्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी तस्वीर देखने को मिली है. दिल को सुकून देने वाली ये तस्वीर है परिक्रमावासी की. महाराष्ट्र के मालेगांव, नासिक के रहने वाले सलीम इस्माइल पठान की आंखों की रोशनी वापिस आ गई है. इसकी वजह है नर्मदा नदी की परिक्रमा. जी हां, लोग सलीम को नर्मदा भक्त के रूप में भी जानते हैं. 

कैसे बने नर्मदा भक्त?

सलीम बताते हैं कि जब वह पांचवी कक्षा में पढ़ते थे तब आंधी आई थी, आंधी की धुल जब उनके आंख में गई तो इससे उनकी रोशनी चली गई. तमाम कोशिशे की, खूब इलाज कराया लेकिन आंखों की रोशनी नहीं आई. बता दें, सलीम 14 साल तक अंधे रहे. फिर एक दिन उनके गांव  में रहने वाले जनार्दन गिरी के शिष्य ने उनसे कहा कि तुम हमारे गुरुजी के पास चलो. जहां वे महामंडलेश्वर शांतिगिरी से मिले. 

नर्मदा माई की परिक्रमा करने से आई आंखों की रोशनी 

सलीम कहते हैं, “उस वक्त साल 2005 में शांतिगिरी महाराज मौन धारण किये हुए थे. उन्होंने जब हमसे पूछा कि तुम क्यों आए हो तो मैंने बताया कि मुझे आंखों की रोशनी वापस चाहिये. उन्होंने कहा कि जो करेगी हमारी नर्मदा माई करेगी. वे मुझे त्र्यंबकेश्वर से एलोरा ले गए. एलोरा से ओम्कारेश्वर ले गए. वहां 8 दिनों तक नर्मदा माई के नाम का जप कराया गया. उसके बाद पूजा पाठ कराई गई. फिर एक दिन सुबह जब सूरज निकला तो जैसे जैसे उसकी किरणें तेज होती गई वैसे - वैसे मेरी आंखों की रोशनी वापस आ गई."

नर्मदा माई के भक्त सलीम पठान
नर्मदा माई के भक्त सलीम पठान

नमाज और रोज़े के साथ भजन कीर्तन भी करते हैं सलीम  

सलीम कहते हैं, “मेरी आंखों की रोशनी आने के बाद शांति गिरी महाराज ने पूछा कि मुझे क्या करना है तो मैंने उनसे दो दिन का समय मांगा और अपने घर गया. वहां मै सब से मिला. मेरी आंखों की रोशनी वापस आने पर सब बहुत खुश हुए. मेरे समाज के कुछ लोग कहने लगे कि अब तो तेरा नाम बदला जाएगा तो मैंने बताया कि शांति गिरी महाराज ने बोला है कि तुम्हारा नाम नहीं बदला जायेगा. तुम्हारा नाम सलीम पठान ही रहेगा. यदि तुम हमारे साथ रहना चाहते हो तो तुम्हे अपने धर्म का पालन करना पड़ेगा. तुम्हे नमाज़ भी पढ़नी होगी और रोज़े भी रखने होंगे. यदि तुम ऐसा करते हो तभी तुम हमारे साथ रह सकते हो.

तुम अपने धर्म का पालन करने के साथ - साथ जो भजन कीर्तन करना चाहो कर सकते हो. तभी से वो अपने धर्म का पालन भी कर रहे है और नर्मदा का भजन कीर्तन भी.

(सईद जावेद अली की रिपोर्ट)