
उज्जैन के महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर का विशेष महत्व है. यह मंदिर साल में केवल नागपंचमी के दिन खुलता है और भक्तों को भगवान शिव और नागदेवता के दुर्लभ दर्शन का अवसर मिलता है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अद्भुत परंपराओं और रहस्यों के बारे में.
नागचंद्रेश्वर मंदिर का इतिहास और महत्व-
नागचंद्रेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर के तीसरे तल पर स्थित है. यहाँ भगवान शिव, माता पार्वती और उनके परिवार की मूर्ति शेषनाग पर विराजित है. यह मूर्ति ग्यारहवीं शताब्दी के परमार काल की मानी जाती है और इसे नेपाल से लाया गया था. पूरे विश्व में यह एकमात्र मंदिर है, जहाँ भगवान शिव का परिवार नागों की शय्या पर विराजमान है.
साल में केवल एक दिन खुलते हैं कपाट-
नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट साल में केवल नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खुलते हैं. इस दिन भक्तों को भगवान शिव और नागदेवता के दर्शन का अवसर मिलता है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से जातक के कुंडली के दोष दूर होते हैं और सर्पदोष से मुक्ति मिलती है.
तीन विशेष पूजा की परंपरा-
नागपंचमी के दिन मंदिर में तीन विशेष पूजा होती है. पहली पूजा मध्यरात्रि 12 बजे महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा की जाती है. दूसरी पूजा दोपहर 12 बजे शासन की ओर से होती है, जो रियासत काल से चली आ रही है. तीसरी पूजा शाम 7:30 बजे महाकाल मंदिर के पुजारी द्वारा की जाती है. इन पूजाओं के बाद मंदिर के कपाट फिर एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं.
सर्पदोष से मुक्ति और आध्यात्मिक लाभ-
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन और पूजा करने से सर्पदोष दूर होता है. यह दोष जीवन में बाधाएँ और अशांति लाता है. नागपंचमी के दिन यहाँ पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
उज्जैन: सप्तपुरियों में से एक-
उज्जैन को सप्तपुरियों में से एक माना जाता है और यह धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र है. यहाँ महाकाल मंदिर के अलावा हरसिद्धि शक्तिपीठ और काल भैरव मंदिर भी स्थित हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर की अनोखी परंपरा इसे और भी विशेष बनाती है.
हिंदू धर्म में नागों का महत्व-
हिंदू धर्म में नागों को शिव का आभूषण माना जाता है. नागपंचमी पर नागों की पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है. नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान शिव के साथ नागदेवता की पूजा का विशेष महत्व है. यह परंपरा भक्तों को प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान का संदेश देती है.
900 साल पुरानी पूजा परंपरा-
नागचंद्रेश्वर मंदिर में पिछले 900 सालों से पूजा-अर्चना होती आ रही है. यह परंपरा त्रिकाल पूजन के अनुसार निभाई जाती है. भक्त यहाँ आकर भगवान शिव और नागदेवता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
नागचंद्रेश्वर मंदिर की अनोखी परंपरा और धार्मिक महत्व इसे उज्जैन के प्रमुख आकर्षणों में से एक बनाते हैं. नागपंचमी के दिन यहाँ दर्शन करने का अनुभव भक्तों के लिए आध्यात्मिक और अद्वितीय होता है.
(संदीप कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट)
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