
बक्सर जिला के इटाढ़ी प्रखंड के कुकूड़ा गांव में आजादी के पहले से ही रावण वध को लेकर एक पुरानी परंपरा चली आ रही है. जिसमें दर्जन भर गावों के लोग दशमी के दिन के बदले शरद पूर्णिमा के दिन रावण का वध कर दशहरा का उत्सव मनाते हैं.
हालांकि ये परंपरा क्यों है, इस पर गांव के लोगों ने बताया की ये परंपरा कुकूड़ा गांव के लोगों के द्वारा पुश्तों से मनाई जा रही है. इसकी कब से शुरुआत हुई, इसका किसी के पास कोई उचित जवाब नहीं है. लेकिन यहां राम लीला की शुरुआत राम वन गमन से होती है. जो एकम से शरू होकर शरद पूर्णिमा से एक दिन पहले तक होती है. फिर शरद पूर्णिमा के दिन इटाढ़ी प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग मिल कर कुकूड़ा में रावण वध का उत्सव मनाते है.
इस बार शरद पूर्णिमा के दो दिनों बाद मनेगा दशहरा
कुकूड़ा गांव निवासी और पूरे आयोजन की व्यवस्था करने वाले संजय बताते हैं कि इस बार तिथि में बदलाव मौसम के परिवर्तन के कारण हुआ. क्योंकि इस कारण सालों से चली आती परंपरा टूट ना जाए, इसका ध्यान रखा गया. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत क्यों हुई थी और कब हुई थी. इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है. बहरहाल बक्सर में लोग रावण वध से जुड़ी इस अनोखी परंपरा की चर्चा खूब कर रहे हैं.
(रिपोर्ट- पुष्पेंद्र पांडेय)