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Mahakal: 2026 से महाकाल मंदिर के नियमों में होगा बदलाव... जानिए क्या है नई व्यवस्था

नए वर्ष 2026 में यदि आप विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर जा रहे हों और वहां के पंडे-पुजारी व सेवक यदि आपको अलग परिवेश में दिखाई दें, तो चौंकिएगा नहीं. क्योंकि मंदिर समिति नए साल से कुछ व्यवस्थाओं में बदलाव करने जा रही है. मंदिर प्रशासक का कहना है कि ये व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ही बनाई गई हैं.

महाकाल मंदिर महाकाल मंदिर
हाइलाइट्स
  • महाकाल मंदिर के नियमों में होगा बदलाव

  • शिवलिंग क्षरण रोकने के लिए किया गया है बदलाव 

दरअसल अंग्रेजी वर्ष बदलने के साथ ही ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में कई व्यवस्थाओं में बदलाव किया जा रहा है. इसमें सबसे मुख्य है पंडे-पुजारियों और मंदिर में सेवा करने वाले कर्मचारियों का परिधान. नई व्यवस्था के तहत 01 जनवरी 2026 से मंदिर के सभी पंडे-पुजारी और उनके प्रतिनिधि सोला पहने दिखाई देंगे, इनके अलावा मंदिर में सेवा देने वाले अन्य कर्मचारी कुर्ता पायजामा में रहेंगे. इन सभी को मंदिर द्वारा प्रदान किए गए आईडी कार्ड पहनना अनिवार्य रहेगा. आपको बता दें कि महाकाल मंदिर समिति में 16 रजिस्टर्ड पुजारी, 22 पुरोहित और 45 प्रतिनिधि हैं. अब तक इनके लिए कोई ड्रेस कोड नहीं था, लेकिन नई व्यवस्था से सभी एक निर्धारित पोशाक में रहेंगे. इससे यह साफ रहेगा कि मंदिर में कौन अधिकृत है और कौन नहीं. 

यह है दूसरा बड़ा बदलाव 
नए साल से मंदिर में जो दूसरा बड़ा बदलाव होगा वह ये कि भगवान महाकाल को अब भारी भरकम माला नहीं चढ़ाई जा सकेगी. मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि महाकालेश्वर शिवलिंग पर चढ़ने वाली भारी भरकम फूलों या मेटल माला, जिसे अजगर माला कहा जाता है, वह अब मंदिर समिति के माध्यम से ही भगवान को अर्पित की जाएगी. अभी तक कोई भी श्रद्धालु भगवान को अपनी श्रद्धा अनुसार ऐसी मालाएं चढ़ा देते थे, जिस पर मंदिर समिति ने प्रतिबंध लगा दिया है. मंदिर प्रशासक ने बताया कि त्यौहारों या विशेष आयोजनों पर भगवान को जो श्रंगार होता है, वह भी होगा और बड़ी माला भी पहनाई जाएगी, लेकिन उसका माध्यम मंदिर समिति होगी. 

शिवलिंग क्षरण रोकने के लिए किया गया है बदलाव 
माना जा रहा है कि शिवलिंग क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति ने ये फैसला लिया है. इसके अलावा मंदिर में दान देने की प्रक्रिया, लड्डू प्रसाद और शीघ्र दर्शन व्यवस्था का डिजिटलीकरण किया जा रहा है. मंदिर समिति इसके लिए लड्डू काउंटरों और शीघ्र दर्शन काउंटर पर क्यूआर कोड भी लगा रही है, ताकि श्रद्धालु से मिलने वाली राशि मंदिर के खाते में सीधे आ जाए. साही साथ दान राशि के लिए भी मंदिर में क्यूआर कोड चस्पा किए जा रहे हैं.

इन तमाम व्यवस्थाओं के साथ ही महाकाल मंदिर में 25 दिसंबर से नए साल की दर्शन व्यवस्था लागू हो जाएगी, जो 05 जनवरी तक यथावत रहेगी. इस दौरान भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग बंद रहेगी. सामान्य दर्शनार्थियों को त्रिवेणी संग्रहालय से महाकाल महालोक के रास्ते मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. भस्म आरती के दर्शन चलायमान व्यवस्था से होंगे. मंदिर प्रशासक के अनुसार पिछले वर्ष भी इस अवधि में भक्तों की संख्या सर्वाधिक थी, जिसे देखते हुए ये निर्णय लिया गया है.


(रिपोर्ट- संदीप कुलश्रेष्ठ)

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