Bhajan clubbing
Bhajan clubbing कई सालों से भारत की आध्यात्मिक पहचान मंदिरों और जागरणों व भक्ति सभाओं तक सीमित रही है. पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इन परंपराओं ने समाज को जोड़े रखा. लेकिन अब एक नया सांस्कृतिक बदलाव आकार ले रहा है.
देश के शहरी इलाकों में आध्यात्मिकता का एक ऐसा रूप उभर रहा है, जो नाइट क्लब की चकाचौंध को छोड़ भक्ति के संगीत को अपनाता है, नशे की जगह उद्देश्य चुनता है और पारंपरिक भजनों को सामूहिक अनुभव में बदल देता है. इसी बदलाव को आज 'भजन क्लबिंग' कहा जा रहा है, जो जेन ज़ी और मिलेनियल्स के लिए आध्यात्मिकता की नई परिभाषा गढ़ रहा है.
जेन ज़ी की भक्ति का नया अवतार
न्यूज़ 18 की खबर के अनुसार, पहली नजर में भजन क्लबिंग भले ही एक नया ट्रेंड लगे, लेकिन इसकी जड़ें सदियों पुरानी हैं. टेंपल कनेक्ट और ITCX इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो के फाउंडर गिरेश वासुदेव कुलकर्णी बताते हैं कि सामूहिक भक्ति का भाव भारत की आत्मा में हमेशा से मौजूद रहा है.
उनके मुताबिक, 'कीर्तन और सत्संग जैसे आयोजन हमेशा से लोगों को सकारात्मक ऊर्जा और साझा अनुभव से जोड़ते आए हैं. भजन क्लबिंग उसी भावना का आधुनिक रूप है, जहां समुदाय, लय और भक्ति एक साथ आती है.'
युवाओं को क्यों भा रहा है भजन क्लबिंग?
आज का युवा सिर्फ सुनना नहीं चाहता, वह अनुभव करना चाहता है. तेज़ रफ्तार, डिजिटल और ओवरस्टिमुलेटेड लाइफ में भक्ति संगीत उन्हें सुकून और स्थिरता देता है. जब यही संगीत आधुनिक लाइटिंग, बेहतरीन साउंड और इमर्सिव माहौल के साथ मिलता है, तो यह परंपरा और आधुनिकता के बीच एक मजबूत पुल बन जाता है. भजन क्लबिंग न तो पूरी तरह धार्मिक आयोजन है और न ही सामान्य पार्टी, यह दोनों के बीच की वह जगह है जहां संस्कृति भी है और कनेक्शन भी.