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Chandan: माथे पर चंदन का तिलक लगाना क्यों शुभ होता है? जानें चंदन का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

चंदन का तिलक धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है. यह न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में भी सहायक है.

Significance Of Applying Chandan Tilak Significance Of Applying Chandan Tilak

अक्सर माथे पर चंदन या तिलक देखकर मन में सवाल आता है कि आखिर चंदन लगाते क्यों हैं? इसकी वजह क्या है और इससे कैसा लाभ मिलता है? धार्मिक नजरिये से अगर देखें तो चंदन आस्था का प्रतीक है और वैज्ञानिक नजरिये से भी चंदन का महत्त्व है. पूजा, उपासना, हवन और धार्मिक अनुष्ठान में चंदन का प्रयोग किया जाता है. चंदन की सुगंध मन को तो पावन करती ही है, चंदन के प्रयोग से भगवान भी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं.

चंदन के चमत्कारी गुण-
चंदन से मिलती है आध्यात्मिक शक्ति और यह पूजा और भक्ति की पहचान है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो भारतीय संस्कृति में पूजा-अर्चना, संस्कार, मंगल कार्य और यात्रा जैसे तमाम शुभ कार्यों की शुरुआत में माथे पर तिलक लगाने की परंपरा है. तिलक में सबसे ज्यादा शुभकारी और कल्याणकारी चंदन का तिलक है. चंदन लगाने से दुष्ट, देवता और ग्रह सकारात्मक होते हैं, तन मन का ताप दूर होता है और मानवीय सामंजस्य भी मजबूत होते हैं.

चंदन का इस्तेमाल-
चंदन एक खास तरह की सुगंधित लकड़ी है. यह ऐसा पौधा है, जिसकी सुगंध बेमिसाल होती है. जैसे-जैसे यह पौधा बढ़ता है, वैसे-वैसे इसके तने और जड़ों में सुगंधित तेल का अंश भी बढ़ने लगता है. इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, साज-सज्जा के सामान, सुगंधित पदार्थ आदि बनाने में होता है. चंदन दो प्रकार लाल और सफेद होता है. बिना चंदन लगाए पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है.

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चंदन का धार्मिक महत्व-
हिंदू धर्म में चंदन को अत्यंत पवित्र माना गया है. पूजा के हर कार्य में चंदन की लकड़ी, चंदन का लेप और चंदन के इत्र का प्रयोग किया जाता है. शिवलिंग का अभिषेक भी चंदन से करने की परंपरा पाई जाती है. श्रीहरि और उनके अवतारों के लिए सफेद चंदन का लेपन अत्यंत महत्वपूर्ण है. हालांकि देवी की उपासना में लाल चंदन का ज्यादा प्रयोग होता है. बौद्ध धर्म में चंदन के प्रयोग से ध्यान करने की परंपरा बताई गई है. ज्योतिष में ग्रहों की समस्या के समाधान के लिए भी चंदन का प्रयोग किया जाता है.

कैसे लगाना चाहिए चंदन-
चंदन लगाने के भी कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं. सबसे पहले नियम तो यही है कि ईश्वर की आराधना में प्रयुक्त होने के कारण जब भी चंदन का तिलक लगाएं, तिलक लगाने से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. दिशा की बात की जाए तो उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके चंदन का टीका लगाना शुभ माना गया है. चंदन का टीका हमेशा ललाट बिंदु यानी भावों के मध्य में ही लगाना चाहिए. बिना स्नान किए तिलक या चंदन न लगाए. पहले अपने इष्ट या भगवान को तिलक लगाएं, फिर खुद को तिलक लगाए. खुद को अनामिका उंगली से और दूसरों को अंगूठे से तिलक लगाएं. तिलक लगाकर कभी भी सोना नहीं चाहिए.

आमतौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी और भस्म आदि से तिलक लगाने का विधान है. अगर आप चंदन का प्रयोग जीवन में करना शुरू कर दें तो जीवन की तमाम परेशानियों से खुद बा खुद छुटकारा मिल सकता है, क्योंकि चंदन के तिलक से ग्रहों को मजबूती मिलती है.

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