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शिव के नृत्य को Tandava क्यों कहते हैं... क्रोध में ही नहीं, प्रसन्न होने पर भी तांडव करते हैं Lord Shankar

क्या आपको पता है कि भगवान शिव के नृत्य को तांडव क्यों कहते है. कहते हैं कि शिव तांडव स्त्रोत की रचना रावण नेकी थी. जिसे आज कलयुग में भी भगवान रूद्र को प्रसन्न करने का सबसे शक्तिशाली स्त्रोत माना जाता है.

तांडव करते भगवान शिव तांडव करते भगवान शिव
हाइलाइट्स
  • धर्मग्रंथों में तांडव का है जिक्र

  • क्रोध के अलावा प्रसन्नता में भी तांडव करते हैं भगवान शिव

तांडव, जिसका नाम सामने आते ही महादेव का क्रोध सामने आता है. लेकिन शास्त्र कहते है कि शिव का परम ज्ञान है तांडव. शंभूनाथ की महालीला है तांडव. कहते है कि महादेव दो स्थितियों में तांडव करते है. जब क्रोध में महादेव अपना तीसरा नेत्र खोलते है. तो सामने जो कोई भी आता है. वो जलकर भस्म हो जाता है. ये शिव का प्रलय स्वरूप है. दूसरा जब वे डमरू बजाते हुए तांडव करते है तो शिव परम आनंद की प्राप्ति करते है. शिव जब तांडव करते है तो उनका यही स्वरूप नटराज कहलाता है. पौराणिक मान्यता कहती है कि रावण ने अपने अराध्य महादेव की स्तुति में शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी. माना जाता है कि रावण जब कैलाश को लेकर चलने लगे तो शिव जी ने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया था. जिससे कैलाश वहीं रह गया और रावण दब गया. तब रावण ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की, वह शिव तांडव स्तोत्र कहलाया. लेकिन धर्मग्रंथों में तांडव की स्तुति की कई व्याख्याएं मिलती है. 

धर्मग्रंथों में तांडव की कथाएं-
कथा है कि माता काली ने बाणासुर की पुत्री को तांडव सिखाया था. मां भगवती ने महिषासुर को मारने के बाद  तांडव किया था. गजमुख की पराजय के बाद भगवान गणेश के तांडव करने का जिक्र मिलता है. कहते है कि भरतमुनि ने नाट्य शास्त्र का पहला अध्याय लिखने के बाद अपने शिष्यों को तांडव का प्रशिक्षण दिया था. 

शिव तांडव स्त्रोत के पाठ की महिमा-
नृत्य की जितनी भी विधाएं है..उनके मूल में तांडव ही है. शिव को मनाने के लिए और उनसे विशेष कृपा पाने के लिए अद्भुत फलदायी है शिव तांडव स्तोत्र का पाठ. कहते है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में चमत्कारिक लाभ होता है.

  • शिव तांडव स्तोत्र अत्यंत चमत्कारिक है
  • इसके नियमित पाठ करने से सुख, धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है
  • शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए
  • इससे परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है 
  • शिव तांडव स्तोत्र से आत्मबल में वृद्धि होती है
  • इस  पाठ को करने से वाणी की शुद्धि होती है
  • इससे शनि, राहु और केतु के दोष से मुक्ति मिलती है..
  • कुंडली में कालसर्प दोष और पितृदोष से भी मुक्ति मिल जाती है..
  • 51 दिनों तक ये पाठ करने से आर्थिक संकटों से मुक्तिमिलती है। 
  • कर्ज समाप्त होता है और नया कर्ज लेने की नौबत कभी नहीं आती है। 
  • विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती है

कैसे करें शिव तांडव स्त्रोत का पाठ-
कहते हैं कि जब स्वास्थ्य की समस्याओं का कोई तत्काल समाधान न निकल पा रहा तो ऐसे में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना बेहद लाभदायक होता है. शास्त्रों के अनुसार, सभी शिव की पूजा कर सकते हैं.  किसी भी जाति का कोई भी व्यक्ति कभी भी शिव तांडव स्तोत्र का जाप कर सकता है. 

  • शिव तांडव स्त्रोत का पाठ सुबह की वेला में करना सबसे उत्तम माना गया है
  • स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर ही ये पाठ करें
  • पहले शिव जी को प्रणाम करके उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें
  • इसके बाद गाकर शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करें
  • अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा
  • पाठ के बादशिव जी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें

 तो आप भी पूरे मनोयोग से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें. जो ना सिर्फ आपका जीवन सुख,समृद्धि से भर देगा. बल्कि महादेव की असीम कृपा भी दिलाएगा.

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