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50 हजार लीटर गंगाजल से यदुवंशी समाज ने किया बाबा विश्वनाथ का भव्य जलाभिषेक, 93 साल पुरानी परंपरा का अनोखा नजारा!

सावन के पहले सोमवार को सुबह-सुबह यदुवंशी समाज के हजारों भक्त गंगा के केदारघाट पर एकत्रित हुए. गंगा स्नान के बाद, भक्तों ने चांदी और पीतल के कलशों में गंगाजल और दूध भरा और डमरू की ध्वनि के साथ भोले शंकर के जयकारों के बीच जलाभिषेक यात्रा शुरू की.

50 thousand liters Ganga water 50 thousand liters Ganga water

सावन का पहला सोमवार काशी में भक्ति और आस्था का अनोखा संगम लेकर आया. विश्व की प्राचीनतम नगरी वाराणसी में यदुवंशी समाज ने 50 हजार लीटर गंगाजल से बाबा काशी विश्वनाथ और शहर के नौ प्रमुख शिवालयों का जलाभिषेक कर 93 साल पुरानी परंपरा को और भव्यता के साथ निभाया.

हजारों की संख्या में यदुवंशी भक्त, हाथों में गागर और पात्र लिए, गंगा घाट से जल लेकर सावन के पहले सोमवार को एकजुट हुए और भगवान शिव की भक्ति में लीन हो गए. यह नजारा न केवल आध्यात्मिक था, बल्कि सामाजिक एकता और समरसता का भी प्रतीक बना. 

93 साल पुरानी परंपरा का गौरवशाली इतिहास
यदुवंशी समाज की यह परंपरा कोई नई नहीं है. इसका इतिहास 1932 तक जाता है, जब ब्रिटिश काल में काशी भीषण सूखे की चपेट में थी. सभी प्रयास विफल होने के बाद यदुवंशी समाज के कुछ युवाओं ने गंगाजल से बाबा काशी विश्वनाथ और अन्य शिवालयों का जलाभिषेक किया.

इसके बाद जोरदार बारिश ने काशी की धरती को तृप्त कर दिया. तब से यह परंपरा हर सावन के पहले सोमवार को निभाई जा रही है. आज यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि आतंकवाद के खात्मे और विश्व शांति के लिए भी समर्पित की गई है. 

भव्य जलाभिषेक का अनोखा दृश्य
सावन के पहले सोमवार को सुबह-सुबह यदुवंशी समाज के हजारों भक्त गंगा के केदारघाट पर एकत्रित हुए. गंगा स्नान के बाद, भक्तों ने चांदी और पीतल के कलशों में गंगाजल और दूध भरा और डमरू की ध्वनि के साथ भोले शंकर के जयकारों के बीच जलाभिषेक यात्रा शुरू की. यह यात्रा सोनारपुरा स्थित गौरी-केदारेश्वर मंदिर से शुरू हुई, जहां बाबा का पहला जलाभिषेक किया गया.

इसके बाद तिलभांडेश्वर मंदिर, दशाश्वमेध घाट के शीतला मंदिर और फिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भव्य जलाभिषेक हुआ. इसके बाद भक्तों का जत्था शहर के अन्य प्रमुख शिवालयों जैसे मृत्युंजय महादेव, रमेश्वर, शूलटंकेश्वर और मार्कंडेय महादेव में भी जल अर्पित करने निकला. 

यदुवंशी समाज का अनुशासन और भक्ति
चंद्रवंशी गोप सेवा समिति, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया, “यह परंपरा हमारी आस्था और एकता का प्रतीक है. हर साल देश के 18 राज्यों से यदुवंशी भक्त काशी पहुंचते हैं और बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करते हैं. इस बार 50 हजार लीटर गंगाजल और दूध से जलाभिषेक किया गया, जो सामाजिक समरसता और विश्व शांति का संदेश देता है.” उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन ने इस आयोजन को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाने में पूरा सहयोग दिया. 

प्रशासन की तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था
यूपी सरकार और काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने इस भव्य आयोजन के लिए व्यापक इंतजाम किए. वाराणसी पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने बताया कि कांवरियों के लिए प्रयागराज-वाराणसी मार्ग की एक लेन आरक्षित की गई थी. 200 सीसीटीवी कैमरे, आठ ड्रोन और 1,500 पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. मंदिर परिसर में लाल कालीन बिछाई गई और भक्तों पर फूलों की वर्षा कर उनका स्वागत किया गया. मंदिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि मंगल आरती और भव्य सजावट ने इस अवसर को और भी विशेष बना दिया