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AI Dental Scan Machine: अब डेंटिस्ट का नहीं लगाना होगा चक्कर! AI मशीन चंद मिनटों में बताएगी दांतों की बीमारी... रिपोर्ट सीधे व्हाट्सएप पर... जानिए कैसे 

अब दांतों की बीमारी जानने के लिए डेंटिस्ट के पास लंबी लाइन और चक्कर नहीं लगाना होगा. बस चंद मिनटों में AI मशीन बता देगी बीमारी कौन सी है. आइए जानते हैं यह मशीन कैसे काम करेगी?

Symbolic Photo (Meta AI) Symbolic Photo (Meta AI)
हाइलाइट्स
  • दिल्ली के मौलाना आजाद डेंटल इंस्टिट्यूट में लगी एआई डेंटल स्कैन मशीन

  • यह मशीन दांतों की जांच कर रिपोर्ट सीधे मरीज के whatsaap नंबर पर देगी भेज 

दिल्ली सरकार ने मौलाना आजाद डेंटल इंस्टिट्यूट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से लैस ऐसी स्मार्ट मिशन लॉन्च की है, जो दांतों की बीमारी चंद मिनटों में बता देगी. यह मशीन दांतों की बीमारी जांचने का लंबा प्रोसेस सिर्फ 60 सेकेंड में पूरा कर देगी. यह मशीन मरीज के दांतों और मसूड़ों की स्कैनिंग करके बीमारी की पहचान करती है. इतना ही नहीं महज कुछ ही सेकेंड में रिपोर्ट बनाकर सीधे मरीज के व्हाट्सएप नंबर पर भेज देती है.

... तो दिल्ली के हर सरकारी अस्पताल में मिलेगी यह सुविधा 
दिल्ली सरकार ने पहली बार सरकारी अस्पतालों में AI-सक्षम डेंटल स्कैन मशीन स्थापित कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. यह सुविधा एक निजी बैंक के CSR फंड की देन है.

मौलाना आजाद डेंटल इंस्टिट्यूट में ट्रायल शुरू होते ही  AI-सक्षम डेंटल स्कैन मशीन ने बस 60 सेकेंड में  सटीक रिपोर्ट देनी शुरू कर दी. इससे मरीजों का समय बचेगा और इलाज के लिए भीड़ में खड़े होने की समस्या खत्म होगी. यदि यह प्रयोग सफल रहा तो जल्द ही दिल्ली के हर सरकारी अस्पताल में यह हाईटेक सुविधा पहुंचाई जाएगी ताकि स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और गुणवत्ता दोनों दोगुनी हो सके.

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कैसे काम करती है AI डेंटल स्कैन मशीन 
आपको बता दें यह मशीन महज 60 सेकेंड में मरीजों के दांतों और मसूड़ों की जांच कर सकती है. यह मशीन मरीजों का मोबाइल नंबर और अन्य विवरण लेकर उनके दांतों और मसूड़ों की अलग-अलग एंगल से तस्वीरें लेती है.  इस प्रक्रिया को 'नावी' नमक ए कैरक्टर द्वारा निर्देश किया जाता है. फिर यह एआई मशीन सॉफ्टवेयर तस्वीरों का विश्लेषण कर तत्काल रिपोर्ट तैयार करती है और उसे मरीज के व्हाट्सएप नंबर पर भेज देती है.  

मुंह के कैंसर की पहचान भी संभव
इस मशीन को बनाने वाली  कंपनी के अनुसार अगले तीन से छह महीने में इसका सॉफ्टवेयर अपग्रेड किया जाएगा, जिससे यह मशीन मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण भी पहचान सकेगी. आपको बता दें इससे कैंसर की संभावना होने पर मरीज को समय रहते सतर्क किया जा सकेगा. यह तकनीक फिलहाल ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल में लाई जा रही है और सफल परीक्षण के बाद इसे दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी लागू किया जाएगा.

(ये स्टोरी पूजा कदम ने लिखी है. पूजा जीएनटी डिजिटल में बतौर इंटर्न काम करती हैं.)