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Shubhanshu Returns from Space: भारत के लिए कैसे फायदेमंद होगी शुभांशु शुक्ला की स्पेस यात्रा, समझिए आसान भाषा में

शुभांशु की इस यात्रा ने भारत के मिशन गगनयान को एक मज़बूत बुनियाद दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से क्या सीखकर आए हैं और उनकी यह यात्रा भारत के लिए कैसे फायदेमंद साबित होगी.

Shubhanshu Shukla returned to earth after spending 18 days in space. Shubhanshu Shukla returned to earth after spending 18 days in space.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से अपना सफर पूरा कर पृथ्वी पर लौट आए हैं. शुभांशु 25 जून 2025 को स्पेसएक्स के फैल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) रवाना हुए थे. उनकी यह 20 दिन की यात्रा भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है. न सिर्फ शुभांशु राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय हैं, बल्कि वह आईएसएस पर पहुंचने वाले पहले भारतीय भी हैं. 

शुभांशु की इस यात्रा ने भारत के मिशन गगनयान को एक मज़बूत बुनियाद दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से क्या सीखकर आए हैं और उनकी यह यात्रा भारत के लिए कैसे फायदेमंद साबित होगी. आइए एक-एक करके जानते हैं इन सवालों के जवाब.

अंतरिक्ष से क्या सीखकर लौटे शुभांशु?

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  • शुभांशु ने आईएसएस पर रहते हुए कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी अनुभव हासिल किए हैं. एक्सियम स्पेस के अनुसार, उन्होंने 'वॉयेजर डिस्प्ले' अध्ययन (Voyager Displays Study) में हिस्सा लिया. इस स्टडी के जरिए यह समझा जाना था कि स्पेस में लंबे वक्त तक कंप्यूटर स्क्रीन को देखते रहने से आंखों पर और हैंड-आई को-ऑर्डिनेशन (Hand-Eye Coordination) पर क्या असर पड़ता है. 
  • इसके अलावा शुभांशु ने इस सफर पर 'अक्वायर्ड इक्विवेलेंस टेस्ट' (Acquired Equivalence Test) के जरिए से अंतरिक्ष में सीखने और अनुकूलन की क्षमता का अध्ययन किया गया.
  • इस मिशन पर रेड नैनो डोजीमीटर जैसे उपकरणों का उपयोग कर रेडिएशन के प्रभावों की निगरानी की गई, जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए अहम है.
  • शुभांशु ने मेथी और मूंग की खेती जैसे प्रयोग भी किए. ये प्रयोग अंतरिक्ष में खाना उगाने की संभावनाओं को तलाशने के लिए अहम हैं. 

भारत के लिए क्यों फायदेमंद होगी यह यात्रा
शुभांशु शुक्ला की एक्सियम-4 मिशन के तहत 18 दिन की यात्रा ने भारत को कई स्तरों पर फायदा पहुंचाया है. सबसे पहले, इस मिशन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में एक मजबूत स्थिति दी है. नासा, स्पेसएक्स और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संयुक्त प्रयास से यह मिशन संभव हुआ, जिसने भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक मंच पर विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया. 

इसरो ने इस मिशन के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का निवेश किया था. यह खर्च गगनयान मिशन की तैयारियों के लिए अनुभव और डेटा संग्रह का एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित होगा. इस मिशन ने भारत के युवाओं और वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित किया है. शुभांशु ने अंतरिक्ष में 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में जैविक प्रक्रियाओं, रेडिएशन के प्रभाव, और मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभावों का अध्ययन शामिल था.

इन प्रयोगों से हासिल हुआ डेटा न सिर्फ गगनयान मिशन के लिए अहम है, बल्कि यह मेडिकल साइंस, खास तौर पर ब्लड ग्लूकोज प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी योगदान देगा. यह भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए उपयोगी होगा. 

कब रवाना होगा गगनयान?
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2027 में लॉन्च होने की संभावना है. यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाएगा और सुरक्षित वापस लाएगा. गगनयान के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव किया गया है. शुभांशु उनमें से एक हैं. गगनयान मिशन भारत के प्रस्तावित स्पेस स्टेशन के निर्माण (2030 तक) की दिशा में भी एक कदम है.