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Cyclone Remal: कैसे और क्यों रखा जाता है तूफानों का नाम? जानिए पूरी कहानी

'रेमल' अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है रेत. इस तूफान का नाम ओमान ने रखा है. सवाल उठता है कि पूर्वी भारत और बांग्लादेश से टकराने वाले किसी तूफान का नाम ओमान ने क्यों रखा. तूफानों के नाम किस तरह और क्यों रखे जाते हैं?

रेमल चक्रवात रविवार आधी रात को पश्चिम बंगाल से टकराएगा. रेमल चक्रवात रविवार आधी रात को पश्चिम बंगाल से टकराएगा.
हाइलाइट्स
  • पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच टकराएगा तूफान

  • बंगाल की खाड़ी पर साल का पहला प्री-मानसून तूफान

पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपापुरा के बीच रविवार आधी रात रेमल तूफान दस्तक देगा. यह बंगाल की खाड़ी पर इस साल का पहला प्री-मानसून तूफान होगा. 'रेमल' अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है रेत. इस तूफान का नाम ओमान ने रखा है. सवाल उठता है कि पूर्वी भारत और बांग्लादेश से टकराने वाले किसी तूफान का नाम ओमान ने क्यों रखा. तूफानों के नाम किस तरह और क्यों रखे जाते हैं?

तूफानों के नाम रखने वाली संस्था
तूफानों के नामकरण के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार संस्था का नाम है वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO). संयुक्त राष्ट्र (UN) की इस संस्था से कुल 185 देश जुड़े हुए हैं. उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र (जिसमें अरब महासागर और बंगाल की खाड़ी दोनों शामिल हैं) में एक प्रभावी चक्रवात चेतावनी और आपदा शमन की जरूरत महसूस करते हुए डब्ल्यूएमओ ने 1972 में पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स (Panel on Tropical Cyclones) की स्थापना की.

शुरुआती दिनों में इस पैनल में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, ओमान सल्तनत और थाईलैंड सहित कुल आठ सदस्य थे. सन् 2000 में जब ओमान की राजधानी मस्कत में पीटीसी की 27वीं बैठक हुई, तो पैनल के सभी देशों ने बंगाल की खाड़ी और अरब महासागर में उठने वाले तूफानों के नाम रखने का फैसला किया.

पैनल के सभी देशों ने अपनी-अपनी तरफ से नाम सुझाए. पीटीसी ने इन्हीं नामों के आधार पर लिस्ट तैयार की और 2004 के बाद से तूफानों के नाम रखना शुरू कर दिया. साल 2018 में पीटीसी में ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी शामिल कर लिया गया. साल 2020 में कुल 169 तूफानों के नाम रिलीज किए गए. 13 देशों ने 13-13 नाम सुझाए. इसी लिस्ट से फिलहाल तूफानों के लिए नाम चुने जाते हैं. 

ऐसे चुना जाता है नाम
नाम भेजने से पहले सभी देशों को कुछ दिशा-निर्देश दिए गए थे, जिनका ध्यान रखते हुए उन्हें सुझाव देने थे. पीटीसी के सदस्यों को जो सुझाव दिए गए थे, वे थे:
1. नाम राजनीति और राजनीतिक शख्सियतों से, धार्मिक मान्यताओं से, संस्कृतियों से और लिंग से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए. 
2. दुनिया भर में जनसंख्या के किसी भी समूह की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए. 
3. नाम बहुत असभ्य और क्रूर नहीं होना चाहिए. 
4. नाम छोटा होना चाहिए, पुकारने में आसान होना चाहिए और पीटीसी के किसी सदस्य की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए.
5. ज्यादा से ज्यादा आठ अक्षरों का होना चाहिए. 
6. नाम के साथ उसे बोलने का सही तरीका और वॉइस ओवर भी देना अनिवार्य है.
7. नाम दोहराया नहीं जाना चाहिए. 

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पैनल के सदस्यों ने जो नाम प्रस्तावित किए हैं उन्हें देशों के नाम के साथ एक क्रम में लगा दिया गया है. जब भी बंगाल की खाड़ी या अरब महासागर में कोई तूफान उठता है तो इस सूची का अगला नाम उस तूफान को दिया जाता है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह नाम किस देश का सुझाव है. 

मिसाल के तौर पर, लिस्ट तैयार होने के बाद इस क्षेत्र का सबसे पहला तूफान अरब सागर में उठा और महाराष्ट्र से टकराया. क्योंकि बांग्लादेश इस सूची का सबसे पहला देश है, इसलिए तूफान का नाम बांग्लादेश के सुझाव पर निसर्ग रखा गया. इसी तरह क्षेत्र का अगला तूफान सोमालिया से टकराया. लेकिन लिस्ट में दूसरा नाम भारत का था, इसलिए तूफान का नाम भारत के सुझाव के आधार पर गति रखा गया. क्षेत्र का तीसरा तूफान भारत के तमिलनाडु से टकराया था, जिसका नाम ईरान के सुझाव पर निवार रखा गया था. 

जब सभी देशों का सुझाया हुआ एक-एक नाम इस्तेमाल कर लिया जाएगा, तो यही चक्र दोबारा चलेगा. जब यह लिस्ट खत्म हो जाएगी तो पीटीसी के सभी देश मिलकर एक नई लिस्ट तैयार करेंगे. हालांकि इसमें कई दशक लग सकते हैं.