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अस्थमा के जेनेटिक रिस्क का कारण हैं एयरवे सेल्स में बदलाव: रिसर्च

एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि एयरवे के जीन में परिवर्तन के कारण अस्थमा का जेनेटिक रिस्क बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं का दावा है कि इस स्टडी से अस्थमा के इलाज में मदद मिलेगी.

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हाइलाइट्स
  • अस्थमा पर हुआ शोध

  • नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध

हाल ही में अस्थमा पर हुए एक शोध में पता चला है कि एयरवे एपिथेलियम के भीतर जीन में परिवर्तन होने के कारण अस्थमा के लिए जेनेटिक रिस्क (अनुवंशिक जोखिम) बढ़ जाता है. यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है. 

नेशनल ज्यूइश हेल्थ सेंटर में पीडियाट्रिक्स के प्रोफेसर मैक्स ए सीबॉल्ड का कहना है कि इस शोध से अस्थमा पर काम करने में मदद मिलेगी. उनका कहना है कि इंसान के स्वास्थ्य में म्युकस (बलगम) अहम भूमिका निभाता है. सामान्य सर्दी से लेकर COVID-19, अस्थमा और सीओपीडी जैसी पुरानी फेफड़ों की बीमारियों के लिए म्युकस जिम्मेदार है.

इसलिए जितना अधिक हम इसके कारणों के बारे में जान सकते हैं, उतना ही बेहतर रहेगा. क्योंकि इसी से इलाज के रास्ते खुलेंगे. 

700 बच्चों पर किया अध्ययन 

बताया जा रहा है कि अध्ययन के लिए, टीम ने बचपन से अस्थमा मरीज और वयस्क होने के बाद अस्थमा मरीज बने लोगों पर पहला एयरवे ट्रांसक्रिप्टोम-वाइड एसोसिएशन स्टडी (TWAS) किया. इसके लिए 700 बच्चों का सैंपल लिया गया. 

अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने एक जीन में आनुवंशिक परिवर्तन पाया. यह खास जीन बलगम (MUC5AC) की संरचना बनाता है. और एक अन्य जीन (FOXA3) बलगम स्रावी कोशिकाओं (mucus secretory cells) के उत्पादन को निर्देशित करता है. यह पहली बार है जब किसी को ऐसे आनुवंशिक परिवर्तन मिले हैं जिसके कारण अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है.