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जर्मनी के वैज्ञानिकों ने खोजा अनोखा तरीका, अब केवल च्युइंग गम से लग सकेगा फ्लू का पता.. जाने पूरा तरीका

वैज्ञानिकों ने नया सेंसर बनाया है. सेंसर जीभ की मदद से फ्लू का पता लगायेगा. यह वायरस न्यूरामिनिडेज ग्लाइकोप्रोटीन पर काम करता है. जब ये सेंसर किसी फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के मुंह में जाता है तो वाइरस थाइमोल को अलग कर देता है. इससे जीभ को थाइम का स्वाद महसूस होता है.

जर्मनी के वैज्ञामिकों ने फ्लू को पहचानने का एक अनोखा तरीका खोजा है. यह टेस्ट खाने योग्य होगा, जैसे च्युइंग गम, जिसे मुंह में डालने पर तुरंत परिणाम मिल सकता है.

टेस्ट कैसे काम करेगा?
जब कोई व्यक्ति इस टेस्ट को मुंह में रखेगा, तो इसमें मौजूद केमिकल सेंसर वायरस का पता लगाएंगे. यदि फ्लू वायरस मौजूद होगा, तो एक स्वाद महसूस होगा. अगर वायरस नहीं होगा, तो कोई स्वाद नहीं आएगा.

न्यूरामिनिडेज़ एंजाइम पर आधारित तकनीक
शोधकर्ताओं ने एक छोटा मोलिक्यूल बनाया है, जो केवल फ्लू वायरस के एंजाइम न्यूरामिनिडेज़ पर प्रतिक्रिया करता है. वायरस की मौजूदगी में यह प्रतिक्रिया थाइमॉल नामक फ्लेवर कंपाउंड रिलीज़ करेगी. इसका स्वाद मुंह में तुरंत महसूस होगा. अगर वायरस नहीं होगा, तो कोई फ्लेवर पैदा नहीं होगा.

लक्षण आने से पहले पहचान
यह टेस्ट लक्षण आने से पहले ही वायरस का पता लगा सकता है. इससे व्यक्ति समय रहते सावधानी बरत सकेगा और दूसरों तक संक्रमण फैलने से रोका जा सकेगा. शोधकर्ताओं ने लिखा कि हमें ऐसे साधनों की ज़रूरत है जो आसानी से बनाए जा सकें, सप्लाई किए जा सकें और इस्तेमाल में सरल हों. ऐसे उपकरण तुरंत फ्लू के संभावित मरीजों की पहचान में मदद कर सकते हैं ताकि उन्हें क्वारंटीन किया जा सके.

शुरुआती परिणाम और परीक्षण
यह तकनीक कंप्यूटर मॉडलिंग की मदद से बनाई गई है ताकि यह केवल फ्लू वायरस पर प्रतिक्रिया करे और बैक्टीरिया या अन्य जीवाणुओं से प्रभावित न हो. इसे फ्लू से पीड़ित अस्पताल में भर्ती मरीजों की लार में टेस्ट किया गया. 30 मिनट में थाइमॉल का स्वाद महसूस किया गया. 

यह टेस्ट अभी शुरुआती चरण में है और बड़े पैमाने पर क्लिनिकल ट्रायल की ज़रूरत है. शोधकर्ताओं के अनुसार, भविष्य के परीक्षणों में मरीजों की प्रतिक्रिया के आधार पर इसे परखा जाएगा. आने वाले डिज़ाइनों में सेंसर की संख्या और परिणाम आने का समय कम किया जा सकता है.

क्या कहना है विशेषज्ञों का
फॉक्स न्यूज़ के सीनियर मेडिकल एनालिस्ट डॉ. मार्क सिगल ने कहा कि मुझे यह विचार बहुत पसंद है, अगर बार-बार टेस्ट में इसकी सटीकता साबित हो जाती है. फ्लू हर साल अमेरिका में लगभग 52,000 मौतें, 41 मिलियन बीमारियां और 7,10,000 अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है.