IIT Kanpur invents unique paste 
 IIT Kanpur invents unique paste आईआईटी कानपुर में लगातार नए-नए शोध होते रहते हैं ताकि समाज की भलाई के लिए नई-नई तकनीकें बनाई जा सकें. इसी कड़ी में संस्थान ने एक और उपलब्धि हासिल की है. बताया जा रहा है कि
आईआईटी कानपुर की लैब में ऐसी तकनीक तैयार की गई है, जिससे हड्डियों को दोबारा बनाया जा सकेगा.
क्या है तकनीक:
बाच अगर तकनीक की करें तो, शरीर के जिस हिस्से में हड्डी टूट गई है या हट गई है, उस प्रभावित हिस्से में दो केमिकल का पेस्ट बनाकर इंजेक्शन के जरिए शरीर में पहुंचाया जाएगा. इस सिरेमिक बेस्ड मिक्सचर में बायो-एक्टिव मॉलेक्यूल होंगे जो हड्डी के पुनर्विकास में मदद करेंगे.
इस तकनीक को बनाने वाले डिपार्टमेंट ऑफ बायो-साइंसेज एंड बायो-इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अशोक कुमार का कहना है कि इससे कृत्रिम हड्डी प्राकृतिक जैसी हो जाएगी. भारत की दृष्टि से इसे हेल्थ साइंसेज में क्रांति कहा जा सकता है.
बुधवार को इस तकनीक को एक निजी कंपनी को ट्रांसफर करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
अब हड्डियों की परेशानी से मिलेगी निजात:
प्रोफेसर अशोक कुमार का कहना है कि आमतौर पर हड्डी में टीबी या कैंसर होने के मामले में डॉक्टरों के पास प्रभावित अंग को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है. क्योंकि हड्डी के दोबारा विकसित होने की कोई उम्मीद नहीं होती है. दुर्घटना में हड्डी टूटने की स्थिति में भी अंतिम विकल्प के तौर पर डॉक्टर उस अंग को काट देते हैं.
इसके अलावा जांघ या शरीर के किसी अन्य हिस्से से हड्डी का एक टुकड़ा निकालकर इम्प्लांट किया जाता है, लेकिन इसमें संक्रमण या बीमारी की भी आशंका रहती है. पर आईआईटी कानपुर की तकनीक बहुत ही प्रभावी है.
यह माइक्रोपोरस जेल हड्डी में पहुंचने के 15 मिनट बाद ही काफी सख्त हो जाएगा. यह शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई और बल्ड सर्कुलेशन को प्रभावित नहीं करेगा. यह जोड़ों की समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है. हड्डी बनने के बाद, नैनो हाइड्रॉक्सीपैटाइट और कैल्शियम हेमोहाइड्रेट शरीर से अपने आप बाहर निकल जाएंगे.
(सिमर चावला की रिपोर्ट)