scorecardresearch

भारत की पहली प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन CORBEVAX को मंजूरी, जानिए कैसे है ये दूसरे सभी टीकों से अलग

कोर्बीवेक्स वैक्सीन एक रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट टाइप वैक्सीन है. ये एक ऐसे प्रोटीन से बनी है जो कोरोना वायरस की सतह पर पाया जाता है. यह स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को शरीर की अंदर घुसने में मदद करता है. इसके बाद ही वायरस अपने मल्टीपल बनाकर इंसान के शरीर में संक्रमण फैलाना शुरू करता है. कई सालों से इस तकनीक से ही हेपेटाइटिस-बी की वैक्सीन बनाई जाती है. इस तकनीक से बनने वाली यह पहली कोविड-19 वैक्सीन है.

CORBEVAX CORBEVAX
हाइलाइट्स
  • ये वैक्सीन कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए काफी सुलभ होगी

  • 2022 तक 10 करोड़ वैक्सीन प्रोडक्शन का लक्ष्य

भारत में मंगलवार को देश की पहली अपनी तरह की वैक्सीन कोर्बीवेक्स (CORBEVAX) को मंजूरी मिल गई है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोर्बीवेक्स को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दे दी है. यह भारत की पहली प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. जो देश में बनी दूसरी सभी वैक्सीन से अलग है.

कोर्बीवेक्स को टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट (टेक्सास चिल्ड्रन सीवीडी) और ह्यूस्टन, टेक्सास में बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (बायलर) के सहयोग से बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हमें खुशी है कि भारत ने एक और कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादन किया है. हमें विश्वास है कि ये टीका दुनिया की जरूरतों को पूरा करेगा और वैश्विक आबादी को कोरोना के संक्रमण से लड़ने में मदद करेगा. 

18 से 80 उम्र वाले लोगों पर किया गया ट्रायल 

बता दें, CORBEVAX वैक्सीन के लिए पूरे भारत में 33 स्टडी साइट पर 18 से 80 साल की उम्र वाले 3000 लोगों को शामिल किया गया था. क्लीनिकल ट्रायल में ये टीका इम्यूनोजेनिक पाया गया है. जिसके बाद इसे अप्रूवल दिया गया है. यह टीका काफी किफायती है जिसे कम लागत से बनाया गया है. इसीलिए ये वैक्सीन कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए काफी सुलभ होगी. 

अपनी तरह की है पहली वैक्सीन 

दरअसल, कोर्बीवेक्स वैक्सीन एक रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट टाइप वैक्सीन है. ये एक ऐसे प्रोटीन से बनी है जो कोरोना वायरस की सतह पर पाया जाता है. यह स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को शरीर की अंदर घुसने में मदद करता है. इसके बाद ही वायरस अपने मल्टीपल बनाकर इंसान के शरीर में संक्रमण फैलाना शुरू करता है. कई सालों से इस तकनीक से ही हेपेटाइटिस-बी की वैक्सीन बनाई जाती है. इस तकनीक से बनने वाली यह पहली कोविड-19 वैक्सीन है. 

2022 तक 10 करोड़ वैक्सीन प्रोडक्शन का लक्ष्य 

बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने फरवरी 2022 से हर महीने 10 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज बनाने का लक्ष्य रखा है. यानि कंपनी हर महीने 75 लाख डोज तक का प्रोडक्शन करेगी.

नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल के प्रोफेसर और डीन डॉ पीटर होटेज ने कहा, "टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के हमारे वैज्ञानिक इस टीके के प्रोडक्शन में मदद करने के लिए काफी रोमांचित हैं. संभवत: ये वैक्सीन वैश्विक स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गयी पहली कोविड-19 वैक्सीन है.”

किफायती और प्रभावी टीका बनाने का था संकल्प: प्रबंध निदेशक महिमा दतला 

बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड की प्रबंध निदेशक महिमा दतला ने कहा, "वर्षों से, हमने दुनिया भर के परिवारों के लिए गुणवत्ता वाले टीके और दवा उत्पादों को सुलभ बनाने के लिए काम किया है. हमने एक किफायती और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन बनाने का संकल्प लिया था, यह अब हकीकत बन चुका है.”

महिमा ने आगे कहा कि कॉर्बेवक्स्टम को बनाने में सभी सहयोगियों के योगदान और इस प्रयास में उनके निरंतर समर्थन की सराहना करने के लिए कोई भी शब्द कम नहीं होगा. टीकाकरण को राष्ट्रीय मिशन बनाने के लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “इस यात्रा के दौरान निरंतर समर्थन और सहयोग के लिए सीईपीआई, बीसीएम, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, डीएफसी, टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल और तेलंगाना सरकार की सराहना करते हैं.”

(इनपुट- आशीष पांडेय)

ये भी पढ़ें