जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मथुरा, वृंदावन और द्वारका सहित देश भर के इस्कॉन मंदिरों में भव्य आयोजन किए गए. मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर 10 लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए. मंदिरों को फूलों और विशेष लाइटों से सजाया गया. इस्कॉन मंदिरों में भगवान को 1008 व्यंजनों का भोग लगाया गया, जिसमें विभिन्न प्रकार के केक और पारंपरिक माखन मिश्री शामिल थे. प्रसाद के महत्व पर चर्चा हुई, जिसमें बताया गया कि 'प्रसादो देव प्रसन्ना नाम' अर्थात प्रसाद से देवता प्रसन्न होते हैं. भगवान कृष्ण के जीवन से कलयुग के लिए कई संदेश दिए गए. विशेषज्ञों ने बताया कि 'परिवर्तन संसार का नियम है' और भगवान कृष्ण ने अपने जीवन से यही सिखाया कि इंसान को कभी ठहरना नहीं चाहिए, कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.