आज देश भर में माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए अहोई अष्टमी का कठिन निर्जला व्रत रख रही हैं. धर्माचार्यों का कहना है कि 'जिन लोगों की संतान दुख में हो, या जिन लोगों की संतान सफलता की सीढ़ियों पर न चढ़ पा रही हो, ऐसी संतान की माताओं को ये व्रत जरूर रखना चाहिए'. इस विशेष पर्व पर अहोई माता, शिव और पार्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष यह पर्व रवि योग, सिद्ध योग और पुनर्वसु नक्षत्र जैसे कई दुर्लभ शुभ संयोगों में मनाया जा रहा है, जो इसके महत्व को और भी बढ़ा रहे हैं. इस दिन शाम को तारों को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है.