भारत की सेनाओं को अब पंचतत्वों - जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु और आकाश - की शक्ति मिल गई है, जिसे 'हिंदुस्तान का पावर पंच' कहा जा रहा है। देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल आई एन एस निस्तार नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ। विशाखापट्टनम में कमीशन किया गया यह पोत, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा 80% स्वदेशी तकनीक से निर्मित है। यह समुद्र के भीतर पनडुब्बी में आपात स्थिति में फंसे लोगों को बचाने में मदद करेगा। इसका आदर्श वाक्य 'सुरक्षित यथार्थ शौर्य' है। इस अवसर पर देश ने 'आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भरता' का उद्घोष किया.
सावन का पवित्र महीना चल रहा है और देशभर में महादेव की भक्ति के अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं. उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा चल रही है तो वहीं जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं. अमरनाथ यात्रा मौसम खराब होने के कारण रोके जाने के बाद एक बार फिर शुरू हो गई है और अब तक 2,50,000 से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. कांवड़ यात्रा में भक्तों का उत्साह चरम पर है, जहाँ राम मंदिर मॉडल, केदारनाथ झांकी और 10,00,000 रुपये की हाइड्रॉलिक कांवड़ जैसी अनोखी कांवड़ें दिख रही हैं. दिल्ली में कांवड़ियों के स्वागत के लिए 17 भव्य द्वार बनाए गए हैं, जिनमें 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम पर द्वार शामिल हैं.
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा पर शिव भक्ति का अद्भुत उत्साह दिख रहा है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर निकले लाखों कांवड़िये अपनी अनोखी कांवड़ों से सबका ध्यान खींच रहे हैं। कहीं राम मंदिर के मॉडल वाली कांवड़ है तो कहीं केदारनाथ धाम की झांकी साकार की गई है। दिल्ली में कांवड़ियों के स्वागत के लिए 17 भव्य द्वार बनाए गए हैं, जिनमें से 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम पर हैं। इनमें ओंकारेश्वर द्वार भी शामिल है.
मिजोरम अब तक देश के नक्शे पर थोड़ी दूर की कहानी लगता था. अब रेल की सीटी के साथ अपनी नई पहचान लिखने जा रहा है. सायरंग तक पहुंचती ट्रेन मिजोरम के लिए एक नया अध्याय लेकर आई है. जो तरक्की, जुड़ाव और उम्मीदों से भरा हुआ. यह पहल एक रेल प्रोजेक्ट की कहानी नहीं है. बल्कि मिजोरम के लोगों के जीवन में आने वाले बदलाव की आहट है. वह बदलाव जो उनके सपनों को अब नई रफ्तार देगा...असम... अरुणाचल और त्रिपुरा के बाद भारतीय रेल अब मिजोरम तक पहुंच गई है. बइरबी से सायरंग के करीब 51 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर ट्रेन दौड़ने के लिए तैयार है... पंख लगने की उम्मीद है. इस रेल रुट से देखिए हमारी खास रिपोर्ट
जी एंड टी स्पेशल में आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उस दौर की बात हुई जो हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. AI जमीन से आसमान तक, हर क्षेत्र में अपनी करामात दिखा रहा है. यह हमारे जीने के तौर-तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है. AI अब सिर्फ भविष्य की बात नहीं, बल्कि हमारा वर्तमान बन चुका है. 16 जुलाई को AI अप्रीशीएशन डे के रूप में मनाया जाने लगा है. AI शॉपिंग से लेकर बैंकिंग, पढ़ाई से लेकर पेमेंट, स्पेस साइंस से लेकर खेती और डिफेंस से लेकर हेल्थकेयर तक क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है.
सावन के पवित्र महीने में सूर्य के राशि परिवर्तन से एक शुभ संयोग बन रहा है, जिसे कर्क संक्रांति के रूप में मनाया जा रहा है. सूर्य कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं, जिससे महादेव और सूर्यदेव दोनों की कृपा प्राप्त होने का दिन है. ज्योतिष के अनुसार, सूर्य का यह राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई राशियों को लाभ देगा, जबकि कुछ को सतर्क रहने की आवश्यकता होगी. मेष, सिंह और धनु राशि वालों को स्वास्थ्य और दुर्घटनाओं पर ध्यान देना होगा, वहीं वृषभ, कन्या, तुला और कुंभ राशि वालों के लिए यह परिवर्तन अनुकूल रहेगा. इसी के साथ, सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान भक्ति और आस्था के कई अनूठे रंग देखने को मिल रहे हैं. हरिद्वार में कांवड़ियों का स्वागत किया गया, जबकि गुरुग्राम से आए भक्तों ने 1000 किलो सोने की आभा वाली महादेव की मूर्ति के साथ यात्रा की. देवघर में ट्रांसजेंडर समुदाय ने कांवड़ियों के लिए सेवा शिविर लगाया. मोदीनगर की आशा अपने चलने-फिरने में लाचार पति सचिन को कंधे पर बैठाकर 170 किलोमीटर की यात्रा कर रही हैं. सचिन ने अपनी पत्नी के इस समर्पण पर कहा, "धन्यवाद मेरे ऐसे हैं जो मुझे ऐसी पत्नी मिली." कन्नौज के दो बेटों ने कैंसर से पीड़ित माँ की बेहतरी के लिए 141 लीटर गंगाजल भरकर 120 किलोमीटर की यात्रा का संकल्प लिया. ये सभी तस्वीरें भक्ति, समर्पण और संकल्प की मिसाल पेश करती हैं.
सावन माह में कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। हरिद्वार और देवघर से भक्ति और समर्पण की कई अनोखी तस्वीरें सामने आई हैं। मोदीनगर की आशा ने अपने बीमार पति को कंधे पर लादकर लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा तय कर हरिद्वार पहुंचीं। दिल्ली के नजफगढ़ और कन्नौज के बेटों ने अपनी माताओं को कांवड़ में बैठाकर यात्रा की, वहीं सिकंदराबाद के पोतों ने अपनी दादी को कांवड़ में लेकर यात्रा पूरी की। एक पति ने अपनी पत्नी के समर्पण पर कहा कि उन्हें ऐसी पत्नी मिली, जिसके लिए वे धन्यवाद देते हैं.
ज चलेंगे देश भर में मौजूद महादेव के उन अद्भुत और अनोखे मंदिरों में जहां महादेव निराले रूपों में विराजे हैं। ऐसे अनोखे शिवधाम जिनकी स्थापना की कहानी आपको हैरान कर देगी. इसी कड़ी में सबसे पहले आपको ले चलते हैं पश्चिमी यूपी के बागपत और दर्शन करवाते हैं उस पावन शिवधाम के जहां पहुंचकर संसार की पहली कांवड़ यात्रा संपन्न हुई थी.
शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से मिशन पूरा कर धरती पर लौट रहे हैं.. कैलिफोर्निया के समंदर में उनका कैप्सूल थोड़ी ही देर में स्प्लैशडाउन करेगा यानी ड्रैगन समंदर में उतरेगा. शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में रहे और अब उनकी धरती पर वापसी का इंतजार है. शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय हैं। उनसे पहले 3 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी और करीब 8 दिनों तक रहनेे के बाद 11 अप्रैल 1984 को पृथ्वी पर लौटे थे. शुभांशु शुक्ला 39 साल के हैं और भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन हैं.
शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से धरती पर वापस लौट आए हैं. कैलिफोर्निया के समंदर में ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन हुआ. शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं, और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाने वाले पहले भारतीय हैं. इससे पहले 3 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी और 11 अप्रैल 1984 को पृथ्वी पर वापस लौटे थे. शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन हैं. उनकी वापसी पर पूरे देश में जश्न का माहौल है.
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला धरती पर वापसी के सफर पर हैं. कैलिफोर्निया के समुद्र में उनके स्पेसक्राफ्ट की सुरक्षित लैंडिंग होगी. शुभांशु शुक्ला के साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में हैं. यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है. शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत के बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. उन्होंने कहा, 'आज का भारत स्पेस से महत्वाकांक्षी दिखता है, आज का भारत निडर दिखता है, आज का भारत कॉन्फिडेंट दिखता है, आज का भारत गर्व से पूर्ण दिखता है और इन्हीं सब कारणों की वजह से मैं एक बार फिर से कह सकता हूँ कि आज का भारत अभी भी सारे जहाँ से अच्छा दिखता है.'