रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग बढ़ रहा है, जिसमें लड़ाकू विमानों का संचालन भी शामिल है. अमेरिकी वायु सेना सचिव फ्रैंक केंडल ने 3 मई 2024 को एआई-नियंत्रित एफ-16 में उड़ान के बाद कहा, 'हथियार लॉन्च करने या न करने का निर्णय लेने की क्षमता वाले एआई पर भरोसा हो गया है.' रूस ने 15 मई 2025 को एआई-संचालित सुखोई एसयु-57एम का परीक्षण किया, जबकि भारत निगरानी हेतु रोबोटिक म्यूल विकसित कर रहा है. सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) युद्ध के तौर-तरीके बदल रहा है, और भारत भी इस क्षेत्र में निवेश कर रहा है. एक प्रमुख चिंता यह है कि 'एआई को पूरी तरह से नियंत्रण सौंपते हैं तो यह जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि एआई के निर्णयों में भावनात्मक और नैतिक दृष्टिकोण की कमी होती है.' इसके अतिरिक्त, एआई सिस्टम को हैकिंग और डेटा पॉइज़निंग जैसे साइबर खतरों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे संवेदनशील जानकारी लीक हो सकती है और अभियानों में बाधा आ सकती है. इन चुनौतियों के बावजूद, भारत रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के माध्यम से 'साइलेंट संत्री' और 'त्रिशूल रिमोट वेपन सिस्टम' जैसी स्वदेशी एआई तकनीकें विकसित कर रहा है.