आज की युवा पीढ़ी में सनातन धर्म के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है. यह पीढ़ी केवल क्रियाओं का पालन नहीं करना चाहती, बल्कि उनके पीछे के आध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व को समझना चाहती है. वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की गलत व्याख्या की गई है, जिससे नई पीढ़ी अवसाद में जा रही है. यह बताया गया कि तीर्थाटन, देशाटन और पर्यटन अलग-अलग अवधारणाएं हैं, और धार्मिक स्थलों को केवल पर्यटन स्थल नहीं कहा जा सकता.