बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी हनुमंत कथा में अहंकार त्यागकर भक्ति के मार्ग पर चलने का आह्वान किया. उन्होंने श्रोताओं को अभिमान से बचने की सलाह देते हुए कहा, 'जिसे मैं की हवा लगी, उसे ना कभी दुआ लगी, ना दवा लगी'. अपनी बात को समझाने के लिए शास्त्री ने चंगीलाल और मंगीलाल नाम के दो मित्रों की कहानी सुनाई, जिसमें बताया गया कि कैसे लोग अपने छोटे से काम का भी बार-बार बखान कर दुनिया को जताना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जो बताने में कम और करने में ज़्यादा समय लगाता है, उसी का प्रताप चारों युग में होता है. शास्त्री ने हनुमान जी का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें अपनी प्रशंसा सुनने के बजाय भगवान की कथा सुननी चाहिए, क्योंकि कथा सुनने से अभिमान नष्ट होता है और हृदय में भक्ति का संचार होता है.