गणेश महोत्सव का पावन अवसर 27 अगस्त से आरंभ होकर 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होगा. इस महापर्व को गणेश नवरात्र भी कहा जाता है, जब भगवान गणेश धरती पर आकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. कार्यक्रम में गणेश जी की अलग-अलग प्रतिमाओं की विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है, जैसे हरिद्र गणपति, उच्छिष्ट गणपति, एक दंत, ऋण मोचन गणपति, संकष्ट हरण गणपति और महा गणपति. बताया गया है कि सफेद रंग के ऋण मोचन गणपति की उपासना और विशेष मंत्र के जप से "कितना भी बड़ा और कितना भी विशाल कर्जा क्यों ना हो उस कर्जे से छुटकारा अवश्य मिलेगा." इसके अतिरिक्त, विवाह में विलंब, संतान प्राप्ति, संपत्ति लाभ और नौकरी की समस्याओं के लिए भी विशेष उपाय बताए गए हैं. केतु ग्रह से संबंधित समस्याओं के निवारण हेतु महा गणपति की उपासना का महत्व भी समझाया गया है. राशि के अनुसार गणेश जी को अर्पित करने योग्य वस्तुएं और मंत्र भी बताए गए हैं, जिससे जीवन की बाधाएं दूर हों और लाभ प्राप्त हो. गणेश महोत्सव में सात्विकता का पालन और नियमित पूजा का विशेष महत्व है.