नवरात्रि का पावन समय चल रहा है, जिसमें अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। अष्टमी पर माता महागौरी की उपासना से मनचाहे विवाह का वरदान मिलता है। इस दिन कन्या पूजन का विधान है, जिसके बिना देवी की कृपा अधूरी मानी जाती है। नवमी तिथि पर माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो समस्त मनोकामनाएं पूरी करती हैं। महानवमी पर हवन और दुर्गा सप्तशती का पाठ लाभकारी होता है। दशहरे का पर्व भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है, जिसे विजयादशमी भी कहते हैं। इस दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। दशहरे पर नए और शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है। "बिना कन्या पूजन के कभी भी आपको देवी की कृपा नहीं मिलेगी।" दशहरे पर महिषासुरमर्दिनी माँ दुर्गा और भगवान राम की पूजा से बाधाओं का नाश होता है। नवरात्रि के समापन पर कलश विसर्जन, दीपक प्रज्वलन और शस्त्र पूजा का विधान है। दशहरे पर विजय, धन और नए कार्यों की शुरुआत के लिए 10 महाउपाय बताए गए हैं, जिनमें नारियल तोड़ना, चुनरी में सिक्के रखना, शमी का पौधा लगाना और निर्धन को मीठी चीज़ का दान करना शामिल है।