जन्माष्टमी का पावन पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. द्वारका, मथुरा, वृंदावन, नोएडा और दिल्ली के इस्कॉन मंदिरों सहित प्रमुख मंदिरों में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की भव्य तैयारियाँ और पूजा-अर्चना हो रही है. श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में आस्था का जनसैलाब उमड़ा हुआ है, जहाँ पूरा मंदिर प्रांगण जगमग रोशनी से सजाया गया है. 5000 साल पहले जहाँ बालकृष्ण ने जन्म लिया था, उस पल के साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुँच रहे हैं. इस अवसर पर विशेष भोग लगाए जा रहे हैं, जिनमें 1008 व्यंजन शामिल हैं. पंचामृत स्नान का विशेष महत्व है, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शर्करा का उपयोग होता है, जिससे धन और वंश की वृद्धि होती है. भगवान श्रीकृष्ण का जीवन कर्मयोग और चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देता है. कृष्ण के जीवन की कथाएँ, जैसे माखन चोरी, रामलीला, गीता का उपदेश और कंस वध, जीवन का सही अर्थ समझाती हैं. संतानहीन दंपतियों के लिए गौ दुग्ध से भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करने और 'क्लीन देवकी शुद्धगोविंदा वासुदेव जगतपते दे ही में तनयम कृष्णा प्वामहम शरणम गत' मंत्र का जाप करने का उपाय बताया गया है. व्रत का अर्थ केवल भोजन त्यागना नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म से पवित्र होकर भगवान के प्रति समर्पित होना है.