भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई मजबूत कदम बढ़ाए हैं. भारतीय सेना ने ऐसे डिजिटल हथियार तैयार किए हैं जो दुश्मन को पलभर में ढूंढ कर खत्म कर सकते हैं. स्वदेशी म्यूल अटैक ड्रोन और स्वॉर्म रोबोट्स के बाद, भारत ने एआई से लैस ऐसे हथियार बनाए हैं जो खुद गोलियां बरसाएंगे. भारत सप्लाई एंड सपोर्ट अलायन्स ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है जिसमें एके 203 राइफल को फिट किया गया है. यह ड्रोन कम ऊंचाई पर हमला करने में कारगर है और सटीकता से अपने निशाने की तरफ बढ़ता है. यह एक फ्लाइंग स्क्वाड्रन की तरह काम करता है और घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करता है. रिपोर्ट के अनुसार, एके 203 असॉल्ट राइफल से लैस ड्रोन एक मिनट में 600 राउंड फायर कर सकता है. इसका नाइट वर्शन कैमरा रात के अंधेरे में छिपे दुश्मनों को देख सकता है. इसके अलावा, बीएसएफ मटेरियल लिमिटेड ने भारतीय सेना के सहयोग से एआई पावर्ड ऑटोनोमस हथियार सिस्टम नेगिव एनजी एलएमजी का 14,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. यह मशीन गन अपने लक्ष्य को सही तरीके से पहचान कर निशाना लगाती है और इसे किसी कमांड की जरूरत नहीं होती. रेडबोट्स टेक्नोलॉजी ने भारतीय सेना के साथ मिलकर गलवान घाटी में एआई आधारित कटाना राइफल सिस्टम की टेस्टिंग सफलतापूर्वक की है. यह स्मार्ट वेपन दुश्मन को देखकर मिलीसेकंड में प्रतिक्रिया देता है. इसे लद्दाख जैसी ऊंची पहाड़ियों पर -20 डिग्री तापमान में परखा गया है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन गन भी बनाई है, जिसका निर्माण भारत फोर्ज लिमिटेड पुणे ने किया है. यह कार्बाइन छोटी, हल्की और तेज है, जो सैनिकों को नजदीकी लड़ाई में मदद करती है. यह हथियार राजस्थान की गर्मी और लद्दाख की ठंड जैसे हर जगह अच्छा काम करता है. एक सैनिक के अनुसार, “राइफल जो है उसको सैनिक की हमजोली कहा जाता है. या तो ये राइफल मुझे जिंदा रखेगी या मेरे सामने जो मेरा दुश्मन है, उसे जिंदा रहने देगी.” ये सभी हथियार भारत की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता को लगातार बढ़ा रही है.