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कुदरत के कहर से जंग! NDRF के फरिश्ते, जान बचाने का मिशन

भारत में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए 2005 में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) का गठन किया गया था. इसका सिर्फ एक लक्ष्य है किसी भी कीमत पर इंसानी जिंदगियों को बचाना. 1999 के ओडिशा चक्रवात, 2001 के गुजरात भूकंप और 2004 की सुनामी जैसी बड़ी आपदाओं के बाद इसकी आवश्यकता महसूस हुई थी. यह बल थल सेना, वायु सेना, नौसेना, सीआईएसएफ और पुलिस जैसी अन्य सुरक्षा बलों से अलग है, क्योंकि इसका सीधा मुकाबला कुदरत के कहर से होता है. हाल ही में, मानसून के दौरान देश के कई राज्यों में आई तबाही में NDRF ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 16 सितंबर 2025 को देहरादून में बादल फटने और 5 अगस्त 2025 को धराली में आई बाढ़ में इसने लोगों को बचाया. दिल्ली में यमुना के खतरे के निशान से ऊपर जाने पर और पंजाब में विनाशकारी बाढ़ के दौरान भी NDRF की टीमें मुस्तैद रहीं, हजारों जिंदगियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और राहत सामग्री पहुंचाई. 2008 में बिहार के कोसी में आई बाढ़ इसकी पहली बड़ी परीक्षा थी, जहां इसने 153 लोगों को एयरलिफ्ट किया और 1,00,000 से अधिक लोगों को बचाया. NDRF में कुल 12 बटालियन हैं, जिनमें इंजीनियर, टेक्नीशियन, स्वान दल और मेडिकल पैरामेडिक्स जैसे विशेषज्ञ शामिल होते हैं.