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Pitru Paksha 2025: पिंडदान के लिए गया जी का सबसे ज्यादा महत्व क्यों है? देखिए स्पेशल रिपोर्ट

अभी पितृपक्ष का पावन समय चल रहा है, जिसमें पूर्वजों के लिए पूजा, प्रार्थना और विधि विधान से तर्पण और पिंडदान किया जाता है. हिंदू सनातन धर्म में भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तक की अवधि को पितृपक्ष कहा जाता है. इस दौरान बिहार के तीर्थस्थल गया से लेकर प्रयागराज, वाराणसी और बद्रीनाथ धाम तक लोग अपने पूर्वजों के पिंडदान और तर्पण के लिए पहुँच रहे हैं. जो लोग इन तीर्थों में नहीं पहुँच पा रहे हैं, वे अब ऑनलाइन सुविधा का सहारा ले रहे हैं. प्रयागराज में पुरोहित व्हाट्सएप कॉल के जरिए जजमानों को पूजा करा रहे हैं और संगम में पिंडदान संपन्न करा रहे हैं.