जीवन में मंगल आने पर अमंगल अपने आप दूर हो जाता है. लोग अमंगल को भगाने का प्रयास करते हैं, जबकि उजाला करने से अंधेरा स्वयं भाग जाता है. इसी प्रकार, जीवन में जब कोई काम न बन रहा हो और लगातार अमंगल हो रहा हो, तो मंगल भवन की शरण लेने से अमंगल दूर हो जाता है. राम जी के नाम की महिमा इतनी है कि रावण भी उसका गुणगान करता है और अपना काम चलाता है. जब राम जी ने राम सेतु बनाने के लिए पत्थरों को पानी में तैराया, तो लंका में खबर गई कि वे जादूगर हैं. रावण की सेना ने पार्टी बदलने का विचार किया, लेकिन रावण ने कहा कि अगर राम पत्थर तैरा सकते हैं, तो हम भी तैरा सकते हैं. रावण ने पत्थर उठाने के बाद कई मंत्रों का जाप किया, लेकिन पत्थर पानी में डूब गया. तब रावण ने पत्थर के पास जाकर कहा, "ये पत्थर तुझे राजा राम की सौगंध है मेरी नाक बचाने के लिए ऊपर राजा। राजा राम की सौगंध है बस मेरी नाक बचाने के लिए तू ऊपर आजा" और राम के नाम लेते ही वह पत्थर पानी में ऊपर आ गया. यह श्रीराम जी का चरित्र है, जिनके नाम को लेकर दुश्मन भी अपना काम चलाते हैं. जिस पर राम जी की कृपा होती है, उस पर सबकी कृपा होती है. भगवान की कृपा के लिए दुनिया वालों की कृपा के पीछे नहीं भागना चाहिए. संकटों की वर्षा होने पर हनुमान जी की छत्रछाया लेकर निकलना चाहिए, क्योंकि हनुमान जी सहायक हों तो कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता.