हजारों साल से मंत्रों को आत्मा की शक्ति और महाशक्तिशाली माना गया है, लेकिन हाल के दिनों में मंत्रों की आस्था को कपड़ों पर उकेर कर फैशन के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है. एक मामले में, प्रेमानंद जी महाराज ने ऐसे वस्त्र पहने एक व्यक्ति को समझाया कि यह अनुचित है. उन्होंने कहा, 'ये हृदय में लिखा होना चाहिए, कपड़े में नहीं और ये बाहर उच्चारण नहीं किया जाता. ये गुरु से लेकर अंदर ही अंदर जपा जाता है.' विशेषज्ञों ने भी शास्त्रों का हवाला देते हुए इसे अमंगलकारी बताया है, क्योंकि मंत्रों और धार्मिक प्रतीकों को पवित्रता और मर्यादा के साथ रखना चाहिए, न कि प्रदर्शन के लिए. एक भक्त द्वारा मंत्रों वाली शर्ट पहनने पर एक संत ने कहा कि यह मंत्रों का अपमान है. इस घटना के बाद धार्मिक वस्त्रों पर मंत्रों के उपयोग को लेकर बहस छिड़ गई है. कुछ लोगों का मानना है कि यह धर्म का व्यवसायीकरण और दिखावा है, जबकि कुछ इसे सनातन धर्म के खिलाफ एक षड्यंत्र मानते हैं.