दशहरे के दिन रावण दहन की परंपरा सदियों से चली आ रही है. रावण महाज्ञानी, विद्वान, ज्योतिषाचार्य, वेद पुराण का ज्ञाता और आयुर्वेद का जानकार था। वह महान शिव भक्त और शिव तांडव स्त्रोत का रचयिता भी था. इन गुणों के बावजूद, रावण ने अपने भीतर अहंकार जैसे अवगुण विकसित कर लिए थे, जिसके कारण वह अधर्म का प्रतीक बन गया. रावण दहन की परंपरा समाज को अहंकार त्यागने का संदेश देती है.