रावण इस बार दशहरे से पहले ही चर्चा में है. एक ओर जहां देश के कई हिस्सों में रावण दहन की तैयारियां चल रही हैं, वहीं कुछ जगहों पर रावण की पूजा और बारात निकाली जा रही है. जोधपुर में रावण के वंशज पितृपक्ष के दौरान उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं. उनका कहना है, "हम रावण के वंशज हैं तथा पीढ़ियों से हमारे दादा पर दादा जो भी हैं वो भी रावण की पूजा करते थे. हम भी रावण की पूजा करते हैं. क्योंकि हम रावण की वंशावली में आते हैं." जोधपुर में रावण का एक मंदिर भी है. प्रयागराज में सैकड़ों साल से रावण की बारात निकाली जाती है, जहां उन्हें ज्ञानी और शिवभक्त के रूप में सम्मान दिया जाता है. दशहरे पर कोटा में 215 फीट का रावण का पुतला बनाया गया है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा पुतला बताया जा रहा है. इसमें रिमोट कंट्रोल सिस्टम और 20 सेंसर का उपयोग किया जाएगा.