सावन के आखिरी सोमवार पर भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमें घर पर रुद्राभिषेक करने की संपूर्ण विधि और उसका महत्व विस्तार से बताया गया. इस कार्यक्रम में रुद्राभिषेक के प्रत्येक चरण, जैसे शुद्धिकरण, दीप प्रज्वलन, शिव परिवार का आवाहन, और बाणभट्ट शिवलिंग का पूजन का विस्तृत विवरण दिया गया. विशेषज्ञों ने बताया कि दूध, दही, शहद, घृत और शर्करा से स्नान कराने से विभिन्न फल प्राप्त होते हैं, जैसे संतान, धन, सुख-शांति, मधुरता, पुष्टि और मोक्ष. पंचामृत से पूरे परिवार में सुख-शांति आती है. गन्ने के रस, कुशोधक जल, दूध-जल-शर्करा मिश्रित जल, और सरसों के तेल के उपयोग से धन, गंभीर बीमारियों से मुक्ति, विद्यार्थियों को सफलता और शत्रु नाश होता है. रुद्राभिषेक में चंदन, वस्त्र, यज्ञोपवीत, भस्म, अक्षत, बेलपत्र, दूर्वा, शमीपत्र, तुलसी मंजरी जैसी सामग्रियों के आध्यात्मिक अर्थों को भी समझाया गया. यह कार्यक्रम उन भक्तों के लिए था जो मंदिरों में रुद्राभिषेक का अवसर नहीं प्राप्त कर सके और सावन के अंतिम सोमवार पर इसे घर पर करने की विधि जानना चाहते थे.