शशि थरूर, जो अपनी प्रतिभा और नैतिक मूल्यों के लिए जाने जाते हैं, ने कई बार सच के लिए भारी कीमत चुकाई है. यदि वे समझौतावादी होते तो साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बन सकते थे, परन्तु अमेरिका ने उन्हें एक मजबूत इच्छाशक्ति वाला उम्मीदवार मानते हुए अपने वीटो का प्रयोग कर दिया; जैसा कि तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री के हवाले से जॉन बोल्टन ने लिखा, "मुझे नहीं लगता कि हमें एक मजबूत महासचिव की जरूरत है." थरूर ने मई 2015 में ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की तीखी आलोचना की, अक्टूबर 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का भी समर्थन किया था, जिसके चलते उन्हें पार्टी प्रवक्ता पद से हटना पड़ा.