साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात 10:59 बजे से 22 सितंबर तड़के 3:23 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि लगभग साढ़े चार घंटे होगी. यह एक दुर्लभ संयोग है जो 122 साल बाद बन रहा है, जिसमें चंद्र ग्रहण से हुई शुरुआत का समापन सूर्य ग्रहण से हो रहा है. यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया, अंटार्कटिका और फिजी में दिखाई देगा, लेकिन भारत में दृश्यमान न होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. ग्रहण के तुरंत बाद शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है, जिसे ज्योतिष में अशुभता के बाद शुभता का संकेत माना जा रहा है. इस ग्रहण का प्रभाव मेष, वृषभ, कन्या, तुला और कुंभ समेत सभी राशियों पर पड़ेगा, जिससे स्वास्थ्य, करियर और संबंधों पर असर देखा जा सकता है. शनि-चंद्रमा की युति से विश्व कुंभ योग का निर्माण हो रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव, साइबर अपराध और आर्थिक क्षेत्रों, विशेषकर स्वर्ण, वस्त्र और फर्नीचर के दामों में उतार-चढ़ाव की आशंका है. ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए परमात्मा का स्मरण, सूर्य गायत्री मंत्र का जाप और स्नान-दान जैसे उपाय बताए गए हैं. नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना, दुर्गा मंत्रों का जाप और उपवास का विशेष महत्व है, जो आत्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.