इस बार त्योहारों का मौसम एक दुर्लभ खगोलीय संयोग के साथ शुरू हो रहा है, जो 122 साल बाद बना है. पितृपक्ष की शुरुआत चंद्रग्रहण से हुई थी और इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण के साथ हो रहा है. ज्योतिष के अनुसार, यह सूर्यग्रहण अशुभता का प्रतीक है क्योंकि यह ग्रह की स्थिति को प्रभावित करता है. हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहाँ सूतक काल मान्य नहीं होगा और पूजा-पाठ बिना किसी बाधा के किए जा सकते हैं. यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिणी गोलार्ध में दिखाई देगा.