भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। इसे पद्मा एकादशी और जयंती एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस लोक में भौतिक संपन्नता और परलोक में मुक्ति की प्राप्ति होती है। गणेश महोत्सव के दौरान पड़ने के कारण यह व्रत भगवान गणेश और श्री हरि दोनों की कृपा दिलाता है। परिवर्तनी एकादशी को भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की उपासना की जाती है.