हमारे खास कार्यक्रम 'किस्मत कनेक्शन' में ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि पापांकुशा एकादशी क्या है. पापांकुशा एकादशी की महिमा और महत्व क्या है. क्या पापांकुशा एकादशी पर कई पीढ़ियों के पापों का प्रायश्चित हो सकता है. पापांकुशा एकादशी पर भगवान पद्मनाम की पूजा कैसे करें.
इस वीडियो में ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय शनिदेव के बारे में बता रहे हैं. शनि की दृष्टि की इतनी महत्वपूर्ण क्यों है. शनि की दृष्टि का अलग-अलग ग्रहों पर क्या प्रभाव है. शनि की दृष्टि बचने के उपाय क्या-क्या हैं.
Dussehra 2024: दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. इसी दिन नवरात्रि की समाप्ति भी होती है , और इसी दिन देवी की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है. इस दिन अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है और विजय पर्व मनाया जाता है. इस दिन अगर कुछ विशेष प्रयोग किये जाएं तो अपार धन की प्राप्ति हो सकती है. इस बार दशहरे का पर्व 12 अक्टूबर को है.
इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12.31 पर आरम्भ हो रही है. अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 तक रहेगी. नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12.07 पर आरम्भ हो जायेगी. चूंकि सप्तमी और अष्टमी तिथि एक साथ नहीं मनायी जा सकती. अतः 11 अक्टूबर को ही अष्टमी और नवमी तिथि का पालन किया जायेगा. अष्टमी तिथि की संधि पूजा 11 अक्टूबर को होगी. नवमी तिथि की रात्रि पूजा भी 11 अक्टूबर को की जायेगी.
मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरुप हैं , जो काफी भयंकर है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और काँटा है और इनका वाहन है गधा. परन्तु ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं , अतः इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं. शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करनेके लिए इनकी उपासना अत्यंत शुभ होती है. इनकी उपासना से भय,दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है. इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का ( तंत्र मंत्र) असर नहीं होता. ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है.
नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है. माँ कात्यायनी , का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है , इनका वाहन सिंह है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं,गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी. विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है , योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है.
देवी की उपासना सृष्टि में सबसे पहले आरंभ हुई. देवी की पूजा मुख्य रूप से शक्ति की पूजा मानी जाती है. दुनिया का सारा धन, संपत्ति और समृद्धि देवी के ही अधीन है. देवी की कृपा से ही सारी दुनिया को धन की प्राप्ति होती है. माँ लक्ष्मी से धन , माँ दुर्गा से शक्ति , माँ अन्नपूर्णा से अन्न , और माँ ललिता से वैभव की प्राप्ति होती है. देवी हर रूप में भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. देवी की उपासना दो तरीकों से की जाती है. सामान्य पूजा और तांत्रिक पूजा.
इस वीडियो में ज्योतिष शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि नवरात्रि में किन तीन वस्तुओं के चमत्कारी प्रयोग हैं. नवरात्रि में किन तीन वस्तुओं के चमत्कारी प्रयोग हैं. नवरात्रि में सुपारी की महिमा क्या है. नवरात्रि में हल्दी का महिमा और महत्व क्या है. नवरात्रि में पान के पत्तों का प्रयोग क्यों किया जाता है.
इस वीडियो में ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय(Shailendra Pandey) बता रहे हैं कि दुर्गा सप्तशती क्या है. दुर्गा सप्तशती मंत्र क्या है. दुर्गा सप्तशती मंत्र के नियम क्या है. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के मंत्र का जाप कैसे करें.
देवी कवच का उपदेश ब्रह्मा जी ने श्री मार्कण्डेय ऋषि को किया था. इस कवच में अपूर्व शक्ति है. इसमें देवी के विभिन्न नामों और शक्तियों का उल्लेख है. इसके पाठ से व्यक्ति हर प्रकार से सुरक्षित हो जाता है. अकाल मृत्यु, तन्त्र मन्त्र, मुकदमे आदि बाधाओं से बचा रहता है. यहाँ तक कि इसका पाठ मनचाही वस्तुओं की प्राप्ति भी करा देता है.
यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से उदधृत है. दुर्गा सप्तशती का पाठ थोड़ा कठिन है. ऐसे में कुंजिका स्तोत्र का पाठ ज्यादा सरल भी है और ज्यादा प्रभावशाली भी. मात्र कुंजिका स्तोत्र के पाठ से सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल मिल जाता है. इसके मन्त्र स्वतः सिद्ध किये हुए हैं, अतः इनको अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है. यह अद्भुत स्तोत्र है, जिसका प्रभाव बहुत चमत्कारी है. इसके नियमित रूप से पाठ से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है.