किस्मत कनेक्शन में बताया गया है कि सप्ताह के हर दिन का संबंध किसी ग्रह से होता है और उस ग्रह की ऊर्जा सप्ताह में उस दिन बहती रहती है. अगर आप ये जान ले कि सप्ताह के किस दिन कौन सा काम ना करें तो आप बहुत सारी मुश्किलों से बच सकते हैं. कार्यक्रम में सोमवार से रविवार तक के लिए विशेष कार्यों को न करने की सलाह दी गई है. इसमें नौकरी की शुरुआत, कर्ज लेना या देना, मुकदमेबाजी, यात्रा की दिशा और वस्त्र धारण करने जैसे विषयों पर जानकारी दी गई है.
किस्मत कनेक्शन में शैलेंद्र पांडेय ने सूर्य देव के कन्या राशि में प्रवेश पर चर्चा की। सूर्य देव 17 सितंबर 2025 को कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि परिवर्तन का प्रभाव लगभग एक महीने तक बना रहेगा। सूर्य की यह स्थिति बहुत शुभ नहीं मानी जाती है क्योंकि सूर्य नीचाभिलाषी हो जाते हैं। सूर्य के ऊपर शनि की सीधी दृष्टि पड़ने से इसके प्रभाव में परिवर्तन होगा.
किस्मत कनेक्शन कार्यक्रम में ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव को शांत करने के लिए दान के महत्व पर चर्चा की गई। बताया गया कि जब कोई ग्रह कुंडली में समस्या उत्पन्न करता है, तो उससे संबंधित वस्तु का दान करना उत्तम माना जाता है। ग्रहों के दान का अर्थ होता है कि आप उस ग्रह को, उसके प्रभाव को अपने जीवन से दूर कर रहे हैं। कार्यक्रम में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु के लिए दान करने का सही समय और वस्तुएं बताई गईं.
आज सबसे पहले उस वीडियो की पड़ताल की गई जिसमें दावा किया जा रहा था कि केरल पुलिस के युवा कैडेट 'जय हिन्द' की जगह 'जय हदिसम' के नारे लगा रहे हैं। पड़ताल में सामने आया कि ये युवा केरल पुलिस से संबंधित नहीं हैं, बल्कि ये कासरगोड जिले के अरंगडी गांव में 6 सितंबर को ईद-ए-मिलाद रैली में हिस्सा ले रहे अरंगडी परमबथ जुमा मस्जिद के अनुयायी थे.
किस्मत कनेक्शन कार्यक्रम में शनिदेव की पूजा के नियम और 14 सितंबर 2025 के जीवित पुत्रिका व्रत पर चर्चा हुई. शनिदेव को न्यायकर्ता और कर्मफल दाता माना जाता है, जिनकी पूजा से जीवन के कष्ट कम होते हैं और करियर में सफलता मिलती है. एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया. "शनि की वो मूर्तियां जिसमें शनिदेव की आंखें होती हैं, ऐसी मूर्ति का दर्शन और पूजन नहीं करना चाहिए" शनिदेव की पूजा शनिवार को भगवान शिव या कृष्ण की उपासना के बाद करें. शाम को शनि मंत्रों का जप करें, पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और गरीब को भोजन दान करें. तामसिक आहार से बचें. जीवित पुत्रिका व्रत संतान की रक्षा और उन्नति के लिए माताएं निर्जल उपवास रखकर करती हैं, जिसमें सूर्यदेव को अर्घ्य देकर अभिमंत्रित धागे संतान को सुरक्षा कवच के रूप में पहनाए जाते हैं.
किस्मत कनेक्शन में आज जानिए मंगल के राशि परिवर्तन के बारे में. 13 सितंबर की रात को मंगल कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करेंगे और 27 अक्टूबर तक इसी राशि में रहेंगे. इस परिवर्तन का प्रभाव मध्यम फलदायी बताया जा रहा है. इस गोचर से दुनिया भर में फैली अशांति और दुर्घटनाओं में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन उपद्रव, झगड़े और राजनैतिक विवाद बने रहेंगे.
शनिदेव को ज्योतिष के नौ ग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाला ग्रह माना जाता है। यदि शनि अनुकूल न हों तो जीवन में संघर्ष की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। कार्यक्रम में बताया गया कि रुद्राक्ष का प्रयोग करके शनि संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र का नेत्र, और इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है। रुद्राक्ष का प्रयोग प्राचीन काल से आभूषण, मंत्र जप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए होता रहा है। शनि की पीड़ा दूर करने और कृपा पाने के लिए सही रुद्राक्ष का चुनाव और पहनने के नियम जानना आवश्यक है.
वाणी का व्यक्ति के व्यक्तित्व, रिश्तों और सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्योतिष में कुंडली का दूसरा भाव और उसका स्वामी वाणी को नियंत्रित करते हैं। तीसरा और आठवां भाव भी वाणी से संबंधित होते हैं। ये भाव आर्थिक और पारिवारिक स्थितियों से भी जुड़े हैं, जिससे वाणी का सीधा संबंध इन पहलुओं से बनता है। वृषभ राशि और बुध का वाणी से सीधा संबंध है, जो व्यक्ति को अभिव्यक्ति की अद्भुत क्षमता देते हैं। बुध और बृहस्पति दोनों के शक्तिशाली होने पर वाणी अत्यंत प्रभावशाली होती है।.
किस्मत कनेक्शन में शैलेंद्र पांडेय ने मंगलवार के व्रत के महत्व और विधान पर चर्चा की। मंगलवार का व्रत मंगल ग्रह की समस्याओं को शांत करने और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत से आत्मविश्वास बढ़ता है और गलत कार्यों से बचाव होता है। जीवन में आने वाले अमंगल टल जाते हैं और शुभता आती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ फल दे रहा हो, जिन्हें क्रोध अधिक आता हो, या वैवाहिक जीवन में मंगल दोष के कारण समस्याएं हों, उन्हें यह व्रत रखना चाहिए। पेट या रक्त संबंधी दिक्कतें होने पर भी यह व्रत लाभकारी है.
गरुड़ पुराण हिंदू परंपरा में किसी की मृत्यु के बाद पाठ किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का साधन माना जाता है. हालांकि, आमतौर पर यह माना जाता है कि इसका पाठ केवल मृत्यु के बाद ही किया जाना चाहिए, लेकिन यह एक बड़ी गलतफहमी है. कार्यक्रम 'किस्मत कनेक्शन' में शैलेंद्र पांडेय ने गरुड़ पुराण के वास्तविक रहस्य और महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने गरुड़ के मृत्यु, यमलोक यात्रा और सद्गति से जुड़े गूढ़ प्रश्नों के उत्तर दिए हैं.
किस्मत कनेक्शन में शैलेंद्र पांडेय ने पितृपक्ष के महत्व और विधान पर चर्चा की। इस बार पितृपक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा। पितृपक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृपक्ष में पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित किया जाता है, जिसे तर्पण कहते हैं। तर्पण दक्षिण दिशा की ओर चेहरा करके, दोपहर के समय, जल में काला तिल मिलाकर और हाथ में कुश लेकर किया जाता है।