सावन की शिवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. कांवड़ियों ने अपनी लंबी और कठिन यात्रा पूरी कर भगवान शिव का जलाभिषेक किया, जिसके साथ उनकी संकल्प यात्रा संपन्न हुई. सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इसमें शिवरात्रि का दिन विशेष महत्व रखता है. आचार्य संजीव अग्निहोत्री जी ने बताया कि श्रावण मास के सभी दिन भगवान शिव को समर्पित हैं और इस दौरान नागपंचमी पर कालसर्प दोष की निवृत्ति भी होती है. उन्होंने गणेश गौरी पूजन और श्रावणी पर्व के महत्व पर भी प्रकाश डाला. अलंकृता मानवी जी ने शिवरात्रि के पौराणिक महत्व को समझाते हुए बताया कि इस दिन प्रभु ने ज्योति स्वरूप में अपना निरंकार रूप दिखाया था. उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न ग्रह दोषों को शांत करने के लिए केसर, इत्र, बेलपत्र, धतूरा, भांग, केवड़ा, शहद और गन्ने के रस से अभिषेक किया जा सकता है. देखें लंच टाइम.