आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इस चार महीने की अवधि को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में वास करते हैं. चातुर्मास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी शुभ संस्कारों पर रोक लग जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की सूक्ष्म उपस्थिति के बिना कोई भी कार्य संपन्न नहीं हो सकता.