कोई भी मंगल कार्य हो, सबसे पहले मंगलमूर्ति यानी गणपति जी की उपासना की जाती है. अब बप्पा भक्तों के जीवन में रंग भरने के लिए पधार गए हैं. आज से देशभर में गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. श्रीगणेश के आगमन से भक्तों में अपार उत्साह और उल्लास दिखाई दे रहा है. घरों में मंगलमूर्ति मेहमान बनकर विराजमान हो चुके हैं. आज हम आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी पर आप ऐसा क्या करें, कि गणपति की कृपा आपके परिवार पर बनी रहें. जानिए
Ganesh Chaturthi 2024: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यही वो तिथि है जब हर साल आते हैं विघ्नहर्ता और भक्तों के साथ रहकर उनके सुख-दुख का हिस्सा बनते हैं . मान्यता है कि इस दौरान गणपति अपने भक्तों के सभी दुख और परेशानियों का अंत कर देते हैं. बाप्पा के भक्त उनके स्वागत में जी-जान से जुटे होते हैं.
Hartalika Teej 2024: 6 सितंबर यानि शुक्रवार के दिन हरितालिका तीज मनाई जाएगी. भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाता है. कहते हैं कि पूरे विधि-विधान से ये व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.इस बार हरितालिका तीज पर क्या योग बन रहा है. चलिए जानते हैं.
ग्रह,नक्षत्र,देवी, देवता,मानव, असुर, शुभ अशुभ , सब कृष्ण के ही अधीन हैं . इसलिए शनि भी कृष्ण की शक्ति के ही अधीन है. ये बात सभी जानते हैं कि शनिदेन न्यायाधीश हैं. शिव जी ने शनि को दंड देने का अधिकार भी दिया है. इसलिए शनि न्याय भी करते हैं और दंड भी देते हैं कर्म करवाना और कर्म का फल देना शनि के ही हाथ में है शनिदेव के न्याय का है अलग तरीका.
Prarthna Ho Swikar: श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. श्री हरि के सभी अवतारों में यही सम्पूर्ण अवतार माने जाते हैं. माना जाता है की श्रीकृष्ण सोलह कलाओं से संपन्न थे. श्री कृष्ण को अलौकिक देव कहते हैं. श्रीकृष्ण ने हर समय अपने भगवान होने का परिचय दिया है. श्री कृष्ण के मुख्य रूप से तीन स्वरुप हैं, ब्रज के कृष्ण , राजा कृष्ण और पार्थ सारथि कृष्ण. हर रूप में श्री कृष्ण अपने भक्तों को आकर्षित करते हैं , इसीलिए उन्हें कृष्ण कहते हैं.
आज बात सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024) की. मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की कृपा अगर बरस जाए तो साधक को मानसिक शांति और आनंद की प्राप्ति होती है. आस्था कहती है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में महादेव (Mahadev) और चंद्रमा (Chandrma) की उपासना करके असंभव सी लगने वाली कामनाएं भी पूरी की जा सकती हैं. तो आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या क्यों मानी जाती है इतनी पवित्र. शास्त्रों में बताया गया है कि भाद्रपद मास में सोमवती अमावस्या तिथि पड़ने से बहुत लाभ मिलता है, साथ ही इस दिन किए गए कुछ उपायों से जीवन में आ रही कई परेशानियां दूर हो जाती हैं.
हम पूजा उपासना रोजाना करते हैं. देवताओं की आरती(Puja Aarti) भी सुबह-शाम करते हैं, लेकिन क्या आप आरती का आध्यात्मिक अर्थ(spiritual meaning of Aarti) जानते हैं. आरती का शास्त्रीय विधान क्या है. वेदों में आरती(Aarti in Vedas) के कौन से नियम बताए गए हैं. मंदिरों में देवताओं की आरती कैसे और कब की जाती है. कहते हैं कि जब तक आरती ना की जाए, तो तबतक ईश्वर की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती. आज हम आपको बताते हैं कि मनोकामना पूर्ति के लिए आरती करने के नियम क्या-क्या हैं.
कोई मांगलिक कार्य(Auspicious Work) हो, या देवों की आराधना(Worship of God)...धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ...सभी शुभ कार्य में हाथ की कलाई पर लाल धागा यानी मौली(Kalawa) बांधने की परंपरा है. आखिर आपने कभी सोचा है, कि मौली यानी कलावा क्यों बांधते हैं. आज हम आपको सभी सवालों के जबाव देने वाले हैं, तो देखिए ये पूरा वीडियो
Shani Pradosh Vrat: भगवान शिव का व्रत है प्रदोष जो बड़ा ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है. महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. ये व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है. इस दिन भोलेनाथ के साथ -साथ शनि देव की उपासना से हर तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. क्योंकि महादेव और शनि देव के शुभ संयोग के कारण ये व्रत बहुत प्रभावशाली हो जाता है.
Astro Tips For Money : इस भौतिकता की दुनिया में धन सब कुछ ही है अगर आप शुभ कर्म करते हैं. न्याय प्रिय हैं, सच्चे हैं तो कुंडली के बुरे योग भी आपका बाल बांका नहीं कर सकते और ये बात भी सभी जानते हैं कि धन-संपन्नता पाने के लिए मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है. जीवन में संपन्नता और प्रसन्नता तब तक नहीं मिल सकती. जब तक मां लक्ष्मी की कृपा ना हो कहा जाता है कि देवों और दानवों ने मिलकर जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से 14 रत्न निकले जिसमें देवी लक्ष्मी भी थी और मां लक्ष्मी ही है जिनके आशीर्वाद से ही धन,संपदा और सुख समृद्धि हासिल होती है.
व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि , पूर्णिमा , अमावस्या तथा एकादशी के हैं उसमे भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति ख़राब और अच्छी होती है ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर ख़राब प्रभाव को रोका जा सकता है. ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर , दोनों पर पड़ता है एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है. तो आइए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि भाद्रपद महीने की ये पवित्र एकादशी क्यों है इतनी महत्वपूर्ण.