यह कार्यक्रम भगवान राम के दस महाशक्तिशाली मंत्रों और उनके महत्व पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि कैसे इन मंत्रों का जाप जीवन की हर विपदा को दूर कर सकता है, चाहे वह स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो, वाद-विवाद या मुकदमेबाजी। कार्यक्रम में विभिन्न मंत्रों का उल्लेख है, जैसे 'श्रीराम जयराम जय जय राम', 'ओम रामाय नमः', और राम गायत्री मंत्र, जिनके जाप से आरोग्य, सकारात्मक ऊर्जा और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाने वाली विवाह पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। यह पर्व विशेष रूप से अयोध्या और जनकपुर में धूमधाम से मनाया जाता है। एक विशेषज्ञ के अनुसार, 'मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हो, भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था.
गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में एंकर गुंजन दीक्षित ने भगवान शिव के उन शक्तिशाली मंत्रों और पूजन विधियों पर चर्चा की, जिनसे विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है। इस रिपोर्ट में शीघ्र विवाह, धन-वैभव, संतान सुख, कर्ज मुक्ति और आरोग्य प्राप्ति के लिए विशेष मंत्र, शिवलिंग स्थापना और प्रसाद के बारे में विस्तार से बताया गया है। एक विशेषज्ञ ने शिव कृपा पाने का सरल मार्ग बताते हुए कहा, 'इनका सबसे सरल मंत्र पंचाक्षर मंत्र जो है नमः शिवाय...नमः शिवाय जपने वाले व्यक्ति का कल्याण हो जाता है'। कार्यक्रम में अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति और मान-सम्मान में वृद्धि के लिए भी शिव उपासना के उपाय बताए गए हैं।
गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों को बलवान बनाने के सरल घरेलू नुस्खों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में बताया गया कि कैसे सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रहों की शांति के लिए अपनी दिनचर्या, खानपान और स्वभाव में छोटे-छोटे बदलाव करके जीवन की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम में एक विशेषज्ञ ने कलियुग में ईश्वर की कृपा पाने का मार्ग बताते हुए कहा, 'कलयुग में जो राम नाम जपेगा वही केवल व्यक्ति इस कली के प्रभाव से बचेगा अर्थात कलयुग में केवल राम का नाम ही आधार है'। इसमें सूर्य के लिए तांबे के बर्तन से जल पीने, शनि के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करने और राहु-केतु के लिए सात्विक जीवनशैली अपनाने जैसे कई उपाय बताए गए।
जीएनटी के कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में शनि देव के ज्योतिषीय महत्व पर चर्चा की गई। इसमें बताया गया कि शनि केवल दंड ही नहीं देते, बल्कि कर्मों के अनुसार फल भी प्रदान करते हैं। कार्यक्रम में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और कुंडली के विभिन्न भावों में उनके प्रभाव को समझाया गया, साथ ही शनि को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के उपायों पर भी प्रकाश डाला गया.
यह रिपोर्ट हरिद्वार में शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित माँ मनसा देवी के सिद्ध पीठ की महिमा पर केंद्रित है, जिन्हें भगवान शिव की मानस पुत्री और नागों की देवी कहा जाता है। एक वक्ता के अनुसार, 'मुख्यतया माँ मनसा देवी के दर्शन करके वहाँ प्रसाद में नारियल अवश्य चढ़ाना चाहिए। नारियल का अर्थ है आपकी मन की कामना।' यह धाम एक शक्ति पीठ है, जहाँ माना जाता है कि देवी सती का मन गिरा था। यहाँ माँ पंचमुखी स्वरूप में दर्शन देती हैं और गर्भगृह में उनके साथ माँ महिषासुर मर्दिनी भी विराजती हैं.
जीएनटी के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हूँ स्वीकार' में प्रस्तोता सुनीता राय शर्मा ने राम नाम की महिमा पर प्रकाश डाला। इस कड़ी में बताया गया कि कैसे दो अक्षरों के इस महामंत्र के जाप से स्वास्थ्य समस्याओं, शनि पीड़ा, और मुकदमों जैसी बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है। कार्यक्रम में एक विद्वान ने तुलसीदास जी का उल्लेख करते हुए कहा, 'कलयुग में जो राम नाम जपेगा वही केवल व्यक्ति इस कली के प्रभाव से बचेगा अर्थात कलयुग में केवल राम का नाम ही आधार है.
यह विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' दर्श अमावस्या के महत्व पर प्रकाश डालता है, जिसे मार्गशीर्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इसमें पितरों के तर्पण, पितृ दोष से मुक्ति के उपाय और भगवान विष्णु की पूजा के विधान पर चर्चा की गई है। कार्यक्रम में बताया गया है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, और पीपल के वृक्ष की पूजा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
आज 17 नवंबर 2025 को सोम प्रदोष व्रत के अवसर पर, यह विशेष कार्यक्रम भगवान शिव को समर्पित इस पावन व्रत की महिमा, नियम और महत्व पर प्रकाश डालता है। इसमें बताया गया है कि कैसे यह व्रत भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है, विशेषकर संतान प्राप्ति, आरोग्य और चंद्र दोष से मुक्ति दिला सकता है। कार्यक्रम में व्रत की सही पूजन विधि, उद्यापन के नियम और भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपायों की विस्तृत जानकारी दी गई है.
‘प्रार्थना हो स्वीकार’ के इस विशेष एपिसोड में श्रीमद् भगवद गीता की महिमा का वर्णन है, जिसे केवल एक धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि कलयुग में जीवन जीने की एक शैली बताया गया है. इसमें श्री कृष्ण और अर्जुन के संवाद, 700 श्लोकों और 18 अध्यायों के माध्यम से कर्म, धर्म और मोक्ष के रहस्यों को उजागर किया गया है. कार्यक्रम में एक विद्वान कहते हैं, ‘यह पुराण हमें यह भी बताता है कि हम स्नेहजनों के साथ अपने जनों के साथ भौतिकता के साथ साथ कैसे हम ईश्वर के प्रति अपने आप को समर्पित कर सकते हैं.’ गीता को उपनिषदों का सार माना गया है, जिसके पाठ और श्रवण से सभी दुखों का निवारण होता है. इसमें गीता जयंती के महत्व, पूजन की सही विधि और इस माह में दान के फलकारी महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है, जो मानव को सांसारिक जीवन में रहते हुए भी मोक्ष का मार्ग दिखाता है.
ईश्वर की उपासना में प्रयोग होने वाली पूजन सामग्रियों का विशेष महत्व है। इस रिपोर्ट में पूजा में कपूर, दीपक, अगरबत्ती, प्रसाद और फूलों के चमत्कारी प्रभावों के बारे में बताया गया है। गणपति, हनुमान जी और मां दुर्गा जैसे देवी-देवताओं को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करने और विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग तेलों के दीपक जलाने के विधान पर चर्चा की गई है। ज्योतिष जानकारों के अनुसार, 'धन के लिए तिल का तेल, व्यक्ति की रोग, शांति के लिए सरसों का तेल और मनोकामना पूर्ण करने के लिए चमेली के तेल का दीपक जलाने का विधान बताया गया है'।