प्रार्थना हो स्वीकार कार्यक्रम में बताया गया कि संकल्प के बिना पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है. ज्योतिषियों के अनुसार पूजा में संकल्प का विशेष महत्व है और यह पूजा को सफल बनाता है. कार्यक्रम में दान के नियम, परिक्रमा का महत्व और पूजा से जुड़े अन्य आवश्यक विधानों पर भी विस्तार से जानकारी दी गई.
सोम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत जगत का कल्याण करने वाली और समस्त प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति करने में सक्षम है. इस व्रत से अच्छी सेहत, संतान प्राप्ति, धन की कमी का निवारण और विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं.
चंदन को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है और इसका प्रयोग पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठानों में होता है. ज्योतिष के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से ग्रहों की ऊर्जा संतुलित होती है और भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है. यदि राहु और केतु ग्रह अनिष्ट फल दे रहे हों, तो उनके जप संख्या का जप कराकर और चंदन का दान करने से वे शुभ फल प्राप्त करेंगे और उनका अनिष्ट प्रभाव दूर हो जाएगा.
आज के "प्रार्थना हो स्वीकार" कार्यक्रम में तीन चमत्कारी रत्नों के बारे में बताया गया है. रत्नों का जादू ही कुछ ऐसा है कि इसके प्रभाव से इंसान की किस्मत बदल सकती है. ओपल, पेरीडॉट और लाजव्रत ऐसे रत्न हैं जो सबके लिए शुभ माने जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.
योग से तन और मन में ऊर्जा का संचार होता है और अध्यात्म का मार्ग खुलता है. महर्षि पतंजलि ने मन की कामनाओं के नियंत्रण को योग कहा है. सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में संपूर्ण योग समाया हुआ है, जिससे कम समय में ही पूरे व्यायाम का लाभ मिलता है; यह शरीर को निरोग बनाता है, एकाग्रता बढ़ाता है और तनाव कम करता है, और जिन लोगों का शरीर लचीला नहीं है, वे भी सूर्य नमस्कार के मंत्र जाप से इसका पूरा लाभ उठा सकते हैं.
धर्म ग्रंथ कहते हैं कि योगिनी एकादशी की कथा स्वयं योग योगेश्वर श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी, जो पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की यह एकादशी उपवास और पूजा पाठ से जीवन में खुशहाली का प्रवेश करा सकती है। इस दिन श्री हरि के ध्यान, भजन और कीर्तन से कल्याण होता है और जाने-अनजाने हुए पापों से छुटकारा मिलता है।
जब भी हम होते हैं परेशान तो याद आते हैं भगवान. ये हमारी आस्था भी है और विश्वास भी जब भी हम मुश्किलों के भंवर में होते हैं तो हम अपनी अर्जी भगवान के दर में लगाते हैं. मंदिरों में जाते हैं. पूजा-पाठ करते हैं. यज्ञ और अनुष्ठान करवाते हैं. या फिर जिस भी हालात में होते हैं वहीं से ईश्वर का सुमिरन करते हैं. और विकट हालात से निकलने पर भगवान को कोटि-कोटि धन्यवाद भी देते हैं. आज हम जानेंगे कि कैसे आपके सुख और दुख से है भगवान का कनेक्शन. जब हम बीमार होते हैं तो अस्पताल जाते हैं. संबंधित बीमारी से संबंध रखने वाले विभाग में जाकर इलाज करवाते हैं. कुछ इसी तरह से चलती है विधाता की सत्ता. वैसे तो मुश्किल में हम कभी भी भगवान को पुकार सकते हैं. लेकिन किस परेशानी में कौन से भगवान के दर पर अर्जी लगाने की परंपरा रही है.चलिए जानते हैं.
माना जाता है कि यदि आप 40 दिनों तक लगातार 11 बार सुबह और शाम चालीसा का पाठ करते हैं, तो इससे वह सिद्ध हो जाती है. ऐसे में आप जिस भी देवी-देवता की चालीसा का पाठ कर रहे हैं, उनकी कृपा आपको मिलने लगती ह जिससे साधक की मनोकामनाएं भी पूरी होने लगती हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो चालीसा का पाठ जितना आसान होता है. उतना ही प्रभावशाली भी होता है. जिन भक्तों को मंत्रों के उच्चारण या जाप में मुश्किल होती है. उनके लिए उपासना की सबसे उत्तम विधि है चालीसा का पाठ.तो आइए जानते हैं क्या है चालीसा का महत्व.
आज के दौर में आप कहीं ना कहीं किसी ना किसी की बुरी नजर का शिकार हो ही जाते हैं, चाहे आप नौकरी करते हों या फिर बिजनेस कभी आपकी कामयाबी या कभी आपके बढ़ते प्रभाव के कारण आपके कई गुप्त शत्रु बन जाते हैं. जिनके कारण आपको जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार कानूनी चक्करों में इंसान ऐसा उलझकर रह जाता है कि उससे निकलना नामुमिकन सा हो जाता है. पर आपकी इऩ सभी परेशानियों का समाधान है मां बगलामुखी की उपासना. कहते हैं कि शत्रु और विरोधियों को शांत करने और कानूनी मामलों से छुटकारे के लिए मां बगलामुखी की उपासना अचूक होती है.
हरिद्वार स्थित मां दक्षिण काली मंदिर, जिसे कामाख्या शक्तिपीठ के समान पूजित माना जाता है, भक्तों की आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि यहां गंगा की नील धारा में स्नान कर महादेव नीलकंठ कहलाए और इसी स्थान पर रामकृष्णा परमहंस के गुरु तूतापुरी महाराज ने साधना की थी. एक भक्त के अनुसार, "जो भी आता है उसको अजीब सी शांति मिलती है, इच्छाएं पूरी होती है"
पूजा-उपासना में प्रयोग होने वाली वस्तुओं के धार्मिक महत्व को समझाया गया है. धूप क्यों जलाते हैं और दीपक का क्या विधान है, इस पर प्रकाश डाला गया है. "ईश्वर को प्रकाश के रूप में मानते हैं, इसलिए दीपक जलाकर उसकी ज्योति के रूप में ईश्वर को स्थापित करते हैं" विभिन्न देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद, पुष्प और मनोकामना पूर्ति के लिए विभिन्न सामग्रियों से हवन करने के लाभ भी बताए गए हैं.