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प्रार्थना हो स्वीकार

27 अगस्त को गणेश चतुर्थी, जानिए स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महिमा

26 अगस्त 2025

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यही वो तिथि है..जब हर साल आते हैं विघ्नहर्ता और भक्तों के साथ रहकर उनके सुख-दुख का हिस्सा बनते हैं. मान्यता है कि इस दौरान गणपति अपने भक्तों के सभी दुख और परेशानियोंका अंत कर देते हैं. बाप्पा के भक्त उनके स्वागत में जी-जान से जुटे होते हैं. माना जाता है कि चतुर्थी से लगभग दस दिनों तक भगवान गणेश धरती पर रहते हैं और अपने भगवान को धरती पर पाकर सभी भक्त निहाल हो जाते हैं.

चमत्कारी है हरितालिका तीज की तिथि, इस बार बन रहे हैं कई शुभ योग, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महाउपाय

25 अगस्त 2025

एक ऐसी दिव्य तिथि जिस दिन आप पर शिव-पार्वती की कृपा बरस सकती है क्योकि हरतालिका तीज से जुड़ी है माता पार्वती की निष्ठा. बहुत शक्तिशाली है हरितालिका व्रत, ये सिर्फ बातें नहीं बल्कि वो पौराणिक सत्य है जब माता पार्वती से शिव को अपने पति के रुप में पाने कि लिए किया था घोर व्रत और फिर मिले थे उन्हें शिव. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिएमां पार्वती ने वर्षों तक घोर तपस्या की थी. ऐसे में हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन पर्व के रूप में मनाया जाता है। मानाजाता है कि माता पार्वती के कठोर तप को देखकर शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से अच्छे पति की कामना औरलंबी आयु के लिए इस व्रत को रखा जाता है.

त्रिपुंड के 27 देवों का रहस्य! 32 अंगों पर लगाने के लाभ और विधि

24 अगस्त 2025

त्रिपुंड के महत्व पर प्रकाश डाला गया है. माथे पर लगाए जाने वाले त्रिपुंड की प्रत्येक रेखा में नौ देवों का वास माना जाता है, जिससे कुल 27 देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. त्रिपुंड की तीन रेखाएं अहंकार, अज्ञानता तथा मोहमाया से मुक्ति का प्रतीक हैं. त्रिपुंड धारण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह घटता है, गुम होता है. शिवपुराण के अनुसार, त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, अध्यात्म की चेतना जागृत होती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है. यह केवल माथे पर ही नहीं, बल्कि शरीर के 32 अंगों पर लगाया जा सकता है, जहां अलग-अलग देवताओं का वास होता है. त्रिपुंड चंदन या भस्म से तीन उंगलियों की मदद से लगाया जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह विचारक केंद्र को शीतलता प्रदान करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है. यह धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजरियों से कल्याणकारी है.

इष्ट देव की महिमा! पाएं जीवन में मनचाहा वरदान, जानिए उपासना का महत्व

23 अगस्त 2025

इस वीडियो में हम इष्ट देव की महिमा और उनके महत्व पर प्रकाश डाला. ईश्वर और इष्ट देव अलग-अलग होते हैं. जहां ईश्वर सृष्टि के पालनहार हैं, वहीं इष्ट देव व्यक्ति के निजी आराध्य होते हैं, जिनकी उपासना से जीवन में सफलता और मनोवांछित कामनाएं पूर्ण होती हैं. ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के लग्न से पंचम राशि के स्वामी ग्रह और उनके देवता ही व्यक्ति के इष्ट देव होते हैं. हालांकि, यह भी बताया गया कि ग्रहों का निर्धारण इष्ट देव से नहीं होता, बल्कि जन्म जन्मांतर के संस्कारों से होता है. कार्यक्रम में सूर्य देव की उपासना को भी विशेष कल्याणकारी बताया गया, जिससे सम्मान, स्वास्थ्य और चतुर्दिक तरक्की मिलती है. विभिन्न समस्याओं के लिए अलग-अलग देवी-देवताओं की उपासना के उपाय भी सुझाए गए.

गोपाल सहस्त्रनाम के महामंत्रों से होगी मोक्ष की प्राप्ति, जानिए पाठ की विधि और महाउपाय

22 अगस्त 2025

भाद्रपद का हर दिन श्री कृष्ण की उपासना के लिए समर्पित हैं.माना जाता है कि इस पवित्र माह में श्री कृष्ण के श्लोकों और मंत्रों का जाप किया जाए तो इस संसार में वो सब कुछ हासिल किया जा सकता है जिसकी आपने तमन्ना की है. माना जाता है कि श्री कृष्ण की स्तुतियों से असंभव को भी संभव किया जा सकता है. आज हम आपको भगवान योग योगेश्वर की कृपा पाने के लिए उन चमत्कारिक स्तुतियों के बारें में आपको बताने जा रहे हैं. जिनका नियमित पाठ आपके जीवन में परिवर्तन ला सकता है. तो कौन सी हैं वो चमत्कारिक स्तुतियां..चलिए जानते हैं.

कृष्ण भक्ति से मिलेगी शनिदेव की कृपा, हनुमान जी भी करेंगे कल्याण, जानिए कैसे

21 अगस्त 2025

शनिदेव को कर्मफल दाता और न्यायाधीश माना जाता है. वे व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यदि किसी ने पाप किया हो तो शनि उसे दंडित करते हैं, लेकिन श्री कृष्ण की उपासना से शनि के तमाम कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण की उपासना करने वाले पर शनि कभी क्रोधित नहीं होते. शनिदेव ने भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे. तभी से यह माना जाता है कि जो लोग भगवान कृष्ण की भक्ति करते हैं, शनिदेव उन्हें परेशान नहीं करते.

श्रीकृष्ण के दिव्यास्त्रों का क्या है रहस्य, क्या है भगवान कृष्ण की महिमा? जानिए

20 अगस्त 2025

प्रार्थना और स्वीकार में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य अस्त्रों की महिमा पर चर्चा की गई। श्रीकृष्ण को पूर्णब्रह्म और सोलह कलाओं से संपन्न श्रीहरि का संपूर्ण अवतार माना जाता है। उनके पास सुदर्शन चक्र, कौमोदकी गदा, सारंग धनुष, पंचजन्य शंख और नंदक तलवार जैसे अस्त्र थे। सुदर्शन चक्र का उपयोग धर्म की स्थापना और पापियों के अंत के लिए किया गया। बांसुरी उनका सबसे दिव्य अस्त्र है, जिसकी धुन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। श्रीकृष्ण की सम्मोहन शक्ति भी अद्भुत थी, जिसके बल पर उन्होंने कई कार्य किए.

गुणों की खान हैं हनुमान जी, उनके कर्मों का पालन करने से बदलेगा जीवन, देखिए हमारी ये खास पेशकश

19 अगस्त 2025

प्रार्थना स्वीकार कार्यक्रम में हनुमान जी के गुणों पर चर्चा की गई। उन्हें अजर अमर माना गया है और वे धरती पर वास करते हैं। उनके भीतर कई ऐसे गुण हैं जिन्हें जीवन में शामिल करके उच्च व्यक्तित्व पाया जा सकता है। हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या के सागर हैं। वे परम ज्ञानी होते हुए भी अपने ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करते। हनुमान जी ने हमेशा मर्यादा का पालन किया। "ज्ञान कितना भी ज्यादा क्यों ना हो, इंसान को मर्यादा का ध्यान हमेशा रखना चाहिए।" वे परम कर्मयोगी हैं और अपने हर कर्तव्य का पालन सही समय पर करते हैं।

अजा एकादशी व्रत दिलाएगा अश्वमेध यज्ञ का पुण्य, हर बाधा होगी दूर, जानिए कैसे

18 अगस्त 2025

भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस व्रत को व्रतों में सबसे बड़ा माना जाता है, जो मानसिक और शारीरिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. पौराणिक मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है. जिसने भी विधि विधान से अजा एकादशी का व्रत किया, उसे अश्वमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है.

सूर्य का सिंह राशि में गोचर, देश-दुनिया पर कैसा होगा असर? जानें उपाय

17 अगस्त 2025

सूर्यदेव हर महीने अपनी राशि बदलते हैं. भाद्रपद में सूर्य कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं. यह राशि परिवर्तन ज्योतिष के नज़रिए से एक महत्वपूर्ण घटना है जिसका देश और दुनिया पर प्रत्यक्ष असर होता है. इस समय सूर्य अपने पूर्ण तेज में होते हैं. सूर्य के इस राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है. 17 अगस्त को सूर्य सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इस समय शनि मंगल का संबंध भी बना हुआ है जिससे राजनैतिक रूप से बड़े सारे परिवर्तन हो सकते हैं और दुनिया में युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है. इस राशि परिवर्तन का सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव वृष, कन्या और मकर राशि पर होगा. मिथुन, तुला, वृश्चिक और मीन राशि के लिए यह परिवर्तन अनुकूल रहेगा. पौराणिक मान्यता है कि जब सूर्यदेव ने कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश किया था, तब श्रीहरि ने नरसिंहा अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी. सूर्य की सिंह संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्य को अर्घ्य देना और दान करना शुभ फलदायी होता है. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए अचूक है. "आदित्य हृदयम पोडियम सर्वशत्रु विनाशनम" यह पाठ रोग रूपी शत्रु, दारिद्रता रूपी शत्रु और भौतिक रूप से युद्ध में शत्रुओं को दूर करने में सहायक है. यह पाठ सफलता और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान देता है.

जन्माष्टमी पर पाएं कान्हा की कृपा, हर मनोकामना होगी पूरी! जानिए पूजा विधि और महाउपाय

16 अगस्त 2025

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से सभी पापों का अंत होता है. कान्हा का जन्मोत्सव भक्तों के लिए एक बड़ा उत्सव है. इस बार अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात्रि 11:49 पर आरंभ हुई और इसका समापन 16 अगस्त यानी आज रात 9:34 पर होगा. श्री कृष्ण की पूजा का समय मध्य रात्रि 12:03 से 12:46 तक है. ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि शुभ मुहूर्त में श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. संतान प्राप्ति के लिए "देवकी सुद गोविंद वासुदेव जगत के देह में इतना नहीं हम कृष्णम हम शरण हम गथा" मंत्र का जाप करने से धार्मिक संतान की प्राप्ति होती है. स्वास्थ्य समस्याओं के निवारण, विवाह, विद्या, शिक्षा, आर्थिक समस्याओं और रोजगार में सफलता के लिए भी विशेष उपाय बताए गए हैं. भगवान कृष्ण को पंचामृत से अभिषेक करने, सुगंधित जल अर्पित करने, पीले या गुलाबी वस्त्र चढ़ाने और विभिन्न मंत्रों का जाप करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं.