गुड न्यूज टुडे के खास कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में गीतिका ने देव गुरु बृहस्पति के जीवन में महत्व पर चर्चा की। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, बृहस्पति को नवग्रहों में गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है। यह ज्ञान, विवेक, धन, विवाह, संतान और स्वास्थ्य को नियंत्रित करते हैं। कार्यक्रम में बताया गया कि यदि कुंडली में बृहस्पति मजबूत हो तो व्यक्ति हर क्षेत्र में तरक्की करता है और अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी कम हो जाते हैं.
महाभारत में गंगापुत्र भीष्म ने धर्मराज युधिष्ठिर को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने की सलाह दी थी। भीष्म ने बताया कि अर्जुन के तीरों से शरीर का दूषित रक्त निकलने के बाद उनकी बुद्धि शुद्ध हुई है और अब वे जो भी कहेंगे, वह मानव कल्याण के लिए होगा। विष्णु सहस्त्रनाम श्रीहरि के 1000 नामों का संकलन है, जिसका वर्णन महाभारत, पद्म पुराण और मत्स्य पुराण में मिलता है। मान्यता है कि मन, कर्म और वचन से इसका पाठ करने से सभी संकटों और कष्टों से मुक्ति मिलती है.
पितृपक्ष के दौरान आने वाली इंदिरा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह एकादशी श्रीहरि विष्णु को समर्पित है और इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है. भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में इंदिरा एकादशी के महत्व का उल्लेख किया है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, इस व्रत से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं. इंदिरा एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर, साफ वस्त्र पहनकर, भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की आराधना की जाती है.
ओम का उच्चारण संपूर्ण ब्रह्मांड के ज्ञान को समाहित करता है, जिसे ईश्वर के सभी रूपों का संयुक्त स्वरूप माना जाता है. यह संसार की सबसे सकारात्मक ध्वनि है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति निहित है. ओम की ध्वनि बिना किसी संयोग या टकराव के पूरे ब्रह्मांड में गूंजती रहती है, जिससे इसके उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ज्योतिषियों और विशेषज्ञों के अनुसार, ओम सभी मंत्रों का बीज है, और हर मंत्र के पीछे या आगे ओम लगा रहता है. वैज्ञानिक शोधों से भी इसके कई लाभ सामने आए हैं, जैसे थायराइड, हृदय संबंधी ब्लॉकेज, रक्तचाप और शुगर को सामान्य करना. यह एकाग्रता बढ़ाता है, घबराहट और बेचैनी दूर करता है, तथा पाचन शक्ति को सुदृढ़ बनाता है. ओम के सही प्रयोग से वास्तु दोष दूर होते हैं और धन संबंधी समस्याएं भी समाप्त होती हैं. यह मानसिक एकाग्रता को प्रबल करता है और नींद न आने की समस्या को दूर करता है.
जीवन में आने वाले सुख-दुख का सामना हर व्यक्ति करता है, लेकिन कई बार घर में लगातार बीमारी, विवाह में देरी, धन की कमी या करियर में तरक्की न होने जैसी समस्याएं घर कर जाती हैं. इन समस्याओं के ज्योतिषीय और वास्तु संबंधी समाधान बताए गए हैं. घर में सूर्य का प्रकाश न आना, सीलन, गलत तरीके से धन का आगमन, पूजा स्थान का ठीक न होना बीमारियों का कारण बन सकता है. पानी की बर्बादी, टूटे बर्तन और अपनी आमदनी का पूरा हिस्सा स्वयं पर खर्च करना धन की कमी लाता है. विवाह में बाधा के लिए गलत आमदनी, बुजुर्गों की अवहेलना और पूजा-उपासना न होना जिम्मेदार हो सकता है. आत्मविश्वास की कमी के लिए सूर्य और मंगल जैसे अग्नि तत्व के ग्रहों का कमजोर होना, चंद्रमा और शुक्र का उतार-चढ़ाव पैदा करना, राहु का प्रभाव और दूषित खानपान जिम्मेदार हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि "अभिवादनसी एलस्य, नित्यम, वृद्धों बसे बिना. चतवारिते नवरधन ते आयुर्विद्या यशो बलम" यानी बड़ों का सम्मान करने से आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है. इन समस्याओं के निवारण के लिए घर में स्वच्छता, सामूहिक पूजा, निर्धनों को दान, बुजुर्गों का आशीर्वाद, शिव-पार्वती की प्रार्थना, पितरों की पूजा और गणपति आराधना जैसे उपाय बताए गए हैं.
पितृपक्ष में पितरों की मुक्ति और मोक्ष के लिए श्रीमद्भागवत गीता का पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि गीता का पाठ करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों के लिए वैकुण्ठ के द्वार खुल जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि 'गीता सुगीता कर्तव्य किमयनी शास्त्र विस्तारी', अर्थात बड़े शास्त्रों की आवश्यकता नहीं, केवल गीता का सुंदर तरीके से पाठ करना चाहिए.
पितृपक्ष का समय पितरों का आशीर्वाद पाने और उनकी कृपा प्राप्त करने का होता है। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। इसी पितृपक्ष के दौरान माँ लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। कुछ विशेष उपायों और नियमों का पालन करके धन से जुड़ी हर समस्या का समाधान संभव है.
प्रार्थना हो स्वीकार में आज पितृ दोष के सच पर बात की गई। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व है। कार्यक्रम में बताया गया कि पितृ दोष तब होता है जब कुल या वंश में कोई पूर्वज अकाल मृत्यु से गुजरे हों अथवा उनके गुजरने के बाद उनका कार्य सही ढंग से न हुआ हो। इसके प्रभाव से जीवन में मानसिक परेशानी, आपसी कलह, संतान सुख में देरी, विवाह में बाधा और धन हानि जैसी समस्याएं आती हैं। पितृ दोष के लक्षण कुंडली में राहु की विशेष स्थितियों से बनते हैं। पितृ पक्ष में पिंड दान, तर्पण और ब्राह्मण भोज से पितृ तृप्त होते हैं। अमावस्या पर निर्धन को भोजन कराना, पीपल लगाना और श्रीमद् भगवद गीता का पाठ करना भी लाभकारी बताया गया। पितृ दोष से मुक्ति के लिए गया तीर्थ में पिंड प्रदान करने और प्रत्येक वर्ष पितरों की तिथि पर श्राद्ध कर्म करने के उपाय भी बताए गए। पितरों की कृपा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।
पितृपक्ष चल रहा है और इस दौरान पितरों को श्राद्ध और तर्पण करके पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। माना जाता है इन दिनों किसी ना किसी जीव के रूप में पितृ धरती पर आते हैं और आशीर्वाद दे कर जाते हैं। इसलिए पशु-पक्षियों की सेवा करना भी जरूरी है। पितृपक्ष में पंचबली का विशेष महत्व है, जिसमें गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी और देवताओं के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर आकर परिजनों को खुशियों का वरदान देते हैं.
पितृपक्ष का समय पितरों को याद करने और उन्हें धन्यवाद देने का है. इस दौरान पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज से पितृगण तृप्त होते हैं. पितृपक्ष में किया गया दान महाकल्याणकारी बन सकता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में दान करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है और पूर्वजों की महा कृपा प्राप्त होती है. अग्निपुराण के अनुसार, जब सूर्य कन्या राशि पर पहुंचते हैं, तब महालय पक्ष में पितरों को बहुत तेज भूख लगती है और वे धर्मराज के निर्देश से पृथ्वी पर अपने घर आते हैं.
आज रात साल 2025 का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है. यह ग्रहण 7 सितंबर की रात 8:58 बजे शुरू होकर 8 सितंबर को सुबह 2:25 बजे समाप्त होगा. इसका सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:18 बजे से आरंभ होकर 8 अक्टूबर को रात 1:26 बजे समाप्त होगा. यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में दिखेगा. मिथुन, सिंह, तुला, मकर और कुंभ राशि पर इसका मध्यम नकारात्मक प्रभाव होगा, जबकि कर्क, वृश्चिक और मीन राशि पर सर्वाधिक नकारात्मक असर दिखेगा. मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि के लिए यह ग्रहण अनुकूल रहेगा.