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प्रार्थना हो स्वीकार

सावन में शिव उपासना से पाएं धन-समृद्धि और मनचाहा वरदान, जानिए उपासना के नियम और महाउपाय

11 जुलाई 2025

सावन का महीना आज से आरंभ हो गया है, जिसे अति पावन और मनभावन मास माना जाता है. यह महादेव की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने का सबसे शुभ और मंगलकारी समय है. इस मास में हर तरफ भोले के जयकारों की गूंज सुनाई देती है. मान्यता है कि सावन में जिसने सच्चे मन से शिव की उपासना कर ली, जीवन में उसे फिर किसी चीज़ की कमी नहीं रह जाती.

गुरु पूर्णिमा का क्या है महत्व, जीवन में कैसे पाएं सफलता और क्या हैं गुरु उपासना के नियम

10 जुलाई 2025

आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु और शिष्य के पवित्र बंधन का प्रतीक है. शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ बताया गया है. गुरु अपने शिष्य को अंधकार से निकालकर रौशनी की ओर ले जाता है. जीवन में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्योंकि बिना गुरु के ईश्वर नहीं मिलते.

कांवड़ यात्रा का क्या है महत्व, यात्रा के क्या हैं नियम और लाभ? जानें शिव भक्ति का पूरा विधान

09 जुलाई 2025

भारत में सावन मास में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. इस यात्रा में भक्त कंधे पर कांवड़ रखकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए निकलते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सावन में कांवड़ उठाकर शिव का जलाभिषेक करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, गंगा का दर्शन, गंगा का स्पर्श, गंगा जल से मुख का मज्जन, गंगा जल का पान और गंगाजल में स्नान पांच प्रकार से मुक्ति, भक्ति और वैराग्य प्राप्त कराता है. वेद और पुराण कहते हैं कि 'दरस परस मजन रूपाना हरई पाप कह वेद पुराना'. कांवड़ यात्रा की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. इसका आरंभ त्रेता युग से माना जाता है, जिसे श्रवण कुमार, भगवान परशुराम, रावण और भगवान राम से भी जोड़ा जाता है. कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है, जैसे कांवड़ के जल को भूमि पर न रखना, एक समय भोजन करना, शिव मंत्रों का जाप करना, सात्विक भोजन का सेवन करना, भगवा वस्त्र धारण करना और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना. कांवड़ यात्रा से तमाम समस्याएं दूर होती हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं होता. जो भक्त कांवड़ यात्रा करने में सक्षम नहीं हैं, वे घर पर ही लौटे में गंगाजल भरकर शिव मंदिर की 27 बार परिक्रमा कर सकते हैं और नंगे पैर पीले या नारंगी वस्त्र धारण कर शिवलिंग पर जल अर्पित कर सकते हैं. गंगाजल को घर के हर कोने में छिड़कने से भी लाभ मिलता है.

ज्योतिष में लाल रंग का क्या महत्व है और रंगों का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है? जानिए सबकुछ

08 जुलाई 2025

यह कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार्य' में बताया गया है कि जीवन में खुशियों का आना-जाना ग्रहों पर निर्भर करता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, ग्रहों के उतार-चढ़ाव के अलावा उनके रंगों का भी जीवन पर असर पड़ता है. आज मंगल ग्रह और उसके रंग, लाल रंग के विषय में जानकारी दी गई. रंगों से ही प्रकृति का श्रृंगार होता है और हर रंग की एक तरंग होती है, जो जिंदगी पर अलग-अलग असर डालती है.

कौन हैं आपके इष्ट देव? जानें महिमा, उपासना का महत्व और वरदान पाने के उपाय

07 जुलाई 2025

ईश्वर की भक्ति हर व्यक्ति करता है, लेकिन हर किसी के मन में एक ही देव का वास होना आवश्यक नहीं है. हर व्यक्ति का एक इष्ट देव होता है, जिनका स्मरण सुख और दुख में रहता है. इष्ट देव वह परम शक्ति हैं जिनकी परिकल्पना साकार और निराकार दोनों है. धर्म ग्रंथों और पुराणों में भी इनका उल्लेख है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, इष्ट देव की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलताएं और मनोवांछित कामनाएं ईश्वर से भी अधिक जल्दी पूर्णता की मदद मिलती है वो है इष्ट देव. एक इष्ट की आराधना से ही सर्व कल्याण होता है.

सत्यनारायण पूजा से पाएं सुख-समृद्धि और हर संकट का समाधान! जानिए महाउपाय

06 जुलाई 2025

कलयुग में भगवान सत्यनारायण की पूजा को सबसे कल्याणकारी और सरल उपासना माना गया है. यह नारायण के सत्य रूप की आराधना है, जो घर में उथल-पुथल या जीवन की राह कठिन होने पर सुख, शांति और संपन्नता प्रदान करती है. इस पूजा से हजारों यज्ञों का फल प्राप्त होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. दाम्पत्य जीवन को मधुर बनाने में भी यह सहायक है. भगवान सत्यनारायण श्रीहरि का परम कल्याणकारी स्वरूप हैं और उनकी कथा सुनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है, साथ ही जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं. भगवान विष्णु ने नारद से कहा था कि "सत्य ही ईश्वर है सत्य का आचरण मतलब ईश्वर की आराधना". ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके इंसान अपने तमाम दुखों से मुक्ति पा सकता है. यह व्रत ग्रह शांति, सुख समृद्धि, शीघ्र विवाह, सुखद वैवाहिक जीवन, संतान संबंधी अनुष्ठान, आयु रक्षा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यह पूजा बिना व्रत के भी की जा सकती है और पूर्णिमा, बृहस्पतिवार या एकादशी जैसे विशेष मुहूर्त में इसका विशेष फल मिलता है. भगवान सत्यनारायण की पूजा से कुंडली के नवग्रह की पीड़ा का भी निदान संभव है, क्योंकि सभी ग्रह भगवान विष्णु द्वारा संचालित हैं. इस उपासना में गौरी, गणेश, नवग्रह और समस्त देवपाल भी शामिल हो जाते हैं. केले का पेड़ या घर का ब्रह्म स्थान इसकी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान है. पंजीरी, पंचामृत, फल और तुलसी दल इस पूजा के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. यह उपासना जीवन के सभी विकारों को नष्ट कर सुख का आगमन करती है.

बच्चों की आदतों पर ग्रहों का असर, जानें ज्योतिषीय उपाय

05 जुलाई 2025

प्रार्थना हो स्वीकार कार्यक्रम में बच्चों के जीवन पर ग्रहों के प्रभाव पर चर्चा की गई. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नव ग्रह हमारे जीवन की सभी घटनाओं का कारण होते हैं, जिनमें संतान की उन्नति और पतन भी शामिल है. बच्चों में संस्कार विकसित करने, गलत संगति से बचाने और बुरी आदतों से छुटकारा दिलाने के उपायों पर बात की गई. बचपन में राहु, केतु या शुक्र की दशा बच्चों पर गहरा असर डालती है. यदि बच्चा झूठ बोलता है, तो इसका कारण राहु-केतु का प्रभाव हो सकता है. इसके लिए ओम नमः शिवाय का जाप, तुलसी दल ग्रहण करना और गायत्री मंत्र का अभ्यास जैसे उपाय बताए गए. गलत संगति में पड़ने पर हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान मंदिर जाने की सलाह दी गई. चोरी की आदत के लिए राहु का अधिक प्रभाव और लग्नेश या चंद्रमा का दूषित होना जिम्मेदार बताया गया. बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए सूर्य को जल अर्पित करने और सूर्य नमस्कार करने का महत्व बताया गया. कार्यक्रम में कहा गया, "चाहे वह स्त्री हो या पुरुष हो अर्थात लड़की हो या लड़का हो सभी को जो है सूर्य को जल निश्चित ही देना चाहिए और सूर्य नमस्कार निश्चित ही करना चाहिए. अगर यही सिर्फ व्यक्ति करता है जो कि सारे ग्रहों के राजा सूर्य होते हैं तो उनसे सभी ग्रह सही रहेंगे और बच्चे का संपूर्ण विकास होगा" बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर भी ग्रहों के प्रभाव और उनके ज्योतिषीय समाधानों पर प्रकाश डाला गया.

परमफलकारी है देवशयनी एकादशी, जानिए शुभ कार्य क्यों हो जाते हैं बंद, क्या महाप्रयोग करें?

04 जुलाई 2025

आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इस चार महीने की अवधि को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में वास करते हैं. चातुर्मास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी शुभ संस्कारों पर रोक लग जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की सूक्ष्म उपस्थिति के बिना कोई भी कार्य संपन्न नहीं हो सकता.

फूलों के प्रयोग से चमकेगी किस्मत, जानिए धन, करियर, विवाह में सफलता के महाउपाय

03 जुलाई 2025

ईश्वर की उपासना में फूलों का ज्योतिषीय महत्व बताया गया है. मान्यता है कि फूलों का संबंध ग्रहों और देवी-देवताओं से होता है. पूजा के फूलों से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में समृद्धि आती है. ज्योतिष शास्त्र मानता है कि फूलों से जुड़े सही प्रयोग समस्याओं का सटीक निवारण कर सकते हैं. अपनी कामना के अनुसार फूलों का प्रयोग करने से कामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं.

आरंभ होने जा रही है बाबा अमरनाथ की पावन यात्रा, जानिए हिमलिंग का रहस्य और महत्व

02 जुलाई 2025

कल से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा करीब 2 महीने तक चलेगी. बाबा अमरनाथ की यात्रा श्रावण पूर्णिमा तक चलती है. और इस दौरान लाखों शिवभक्त बाबा के दरबार में पहुंचते हैं और बाबा के चमत्कार के साक्षी बनते हैं. भक्तों की बस यही तमन्ना होती है कि उन्हें बस किसी तरह से बाबा बर्फानी के दर्शन हो जाएं. शिव के इस दरबार में बम बम भोले के जयकारे के साथ आंखे जब भगवान शिव के हिमलिंग की साक्षी बनती हैं तो हृदय भक्ति के भावों से भर उठता है.

लड्डू के प्रयोग से नवग्रह होंगे बलवान और मनोकामना की होगी पूर्ति, जानिए कैसे

01 जुलाई 2025

ईश्वर की आराधना में लड्डू का भोग विशेष महत्व रखता है. ज्योतिषी कहते हैं कि लड्डू से नौ ग्रहों को नियंत्रित किया जा सकता है और यह आर्थिक तंगी, कर्ज, असफलता तथा मानसिक तनाव जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है. संतान प्राप्ति, रोजगार और वैवाहिक बाधाओं के समाधान के लिए भी लड्डू के विशेष प्रयोग बताए गए हैं.