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प्रार्थना हो स्वीकार

केतु का प्रकोप खत्म करेंगे गणपति, जानें कुंडली के दोष, वास्तु उपाय और श्री गणेश की चमत्कारी पूजा विधि

05 नवंबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में सुनीता राय शर्मा के साथ जानें ज्योतिष में छाया ग्रह केतु और भगवान गणेश के बीच का गहरा संबंध। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे गणपति की उपासना से केतु के नकारात्मक प्रभावों को शांत किया जा सकता है। एक ज्योतिष विशेषज्ञ के अनुसार, 'भगवान गणेश केतु ग्रह के नियंत्रक देव हैं। जब नियंत्रक देव की हम आराधना करेंगे तो वह ग्रह अपने आप ही सकारात्मक प्रभाव देना शुरू कर देगा.

काशी में देव दीपावली का उत्सव, शिव कहलाए त्रिपुरारी, गुरु नानक जयंती का भी संयोग, जानें सब कुछ

04 नवंबर 2025

आज GNT के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में सुनीता राय शर्मा के साथ जानिए देव दीपावली की महिमा, जो इस वर्ष 5 नवंबर को मनाई जाएगी। एक पौराणिक कथा के अनुसार, 'जब त्रिपुरा सुर का भगवान शिव ने वध किया तो देवता बड़ा प्रसन्न हुए और शिव जी से बोले कि प्रभु ईष्ट पर्व को बड़ा धूमधाम से मनाना चाहिए'। इसी विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने काशी के घाटों पर दीप जलाकर उत्सव मनाया था, जिससे इस पर्व की शुरुआत हुई.

बैकुंठ चतुर्दशी पर हरि-हर का दुर्लभ संयोग, विष्णु सहस्रनाम से बनेंगे बिगड़े काम, खुलेंगे बैकुंठ के द्वार!

03 नवंबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में सुनीता राय शर्मा के साथ जानिए बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व, जिस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त उपासना की जाती है. महाभारत काल में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इसका महत्व समझाते हुए कहा था, 'उस समय मैं गौरव कान खा रहा था, जिससे मेरी बुद्धि दुर्बल हो गई थी' लेकिन अर्जुन के बाणों से दूषित रक्त निकल जाने के बाद उन्होंने विष्णु सहस्त्रनाम का उपदेश दिया. यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास तक भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने पर भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही वे यह दायित्व पुनः श्रीहरि को सौंपते हैं. इस दिन व्रत, पूजन और दीपदान करने से व्यक्ति के लिए सीधे बैकुंठ के द्वार खुल जाते हैं और उसे पापों से मुक्ति मिलती है. कार्यक्रम में विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ की महिमा और जीवन की बाधाओं को दूर करने वाले महाउपायों पर भी चर्चा की गई.

राक्षस की ढाल बनी तुलसी ने विष्णु को क्यों दिया श्राप? जानें तुलसी विवाह से कैसे होगी सुख-समृद्धि

02 नवंबर 2025

तुलसी विवाह के विशेष अवसर पर, कार्यक्रम 'प्रार्थना स्वीकार' में प्रस्तुत है देवउठनी एकादशी का महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथा. कथा के केंद्र में हैं राक्षस जालंधर, उसकी पतिव्रता पत्नी वृंदा और भगवान विष्णु. इस पर वृंदा ने कुपित होकर भगवान को श्राप दे दिया कि ‘वो पत्थर के हो जाएं’. इसी श्राप के चलते भगवान विष्णु शालिग्राम रूप में पूजे जाते हैं और वृंदा ने तुलसी के रूप में जन्म लेकर उनसे विवाह किया. हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया जाता है, जिसे करने से कन्यादान का फल मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है. इस रिपोर्ट में तुलसी विवाह की पूरी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और तुलसी के औषधीय गुणों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिससे आप इस पावन दिन का पूरा लाभ उठा सकते हैं.

शादी में देरी, लव मैरिज में धोखा? कुंडली के ये ग्रह हैं जिम्मेदार, जानें अचूक महाउपाय

01 नवंबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के खास कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में एंकर गीतिका पंत ने विवाह में हो रही देरी के ज्योतिषीय कारणों और उपायों पर चर्चा की. कार्यक्रम में प्रेम विवाह में आने वाली बाधाओं, वैवाहिक जीवन की समस्याओं और उनके समाधान के लिए ग्रहों की भूमिका को विस्तार से बताया गया. एक ज्योतिषी के अनुसार, ‘पितृ दोष जब घर में पितृ दोष होता है उस कारण से भी वैवाहिक संबंध नहीं बनते क्योंकि पितरों के आशीर्वाद से ही वंश वृद्धि होती है’. कार्यक्रम में बताया गया कि पुरुषों के विवाह में शुक्र और महिलाओं के विवाह में बृहस्पति ग्रह की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसके अलावा, विभिन्न राशियों पर ग्रहों के प्रभाव और पितृ दोष जैसे योगों के निवारण के लिए भगवान शिव, सूर्य देव की उपासना और विशेष मंत्र जाप जैसे कई महाउपाय भी सुझाए गए.

देवउठनी एकादशी पर जागे श्री हरि, अब बजेगी शहनाई! जानें शीघ्र विवाह और सुख-समृद्धि के महाउपाय

31 अक्टूबर 2025

गुड न्यूज टुडे के खास कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में एंकर गीतिका पंत ने देवोत्थान एकादशी की महिमा पर चर्चा की. जानकारों के अनुसार, 'आज के दिन से ही हमारे सनातन धर्म में शुभ कार्यों का आरंभ, विवाह, ग्रह प्रवेश आदि का मुहूर्त आरंभ हो जाता है' यह पर्व भगवान विष्णु के चार महीने की योग निद्रा से जागने का प्रतीक है, जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त हो जाता है और रुके हुए मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. कार्यक्रम में देवउठनी एकादशी का महत्व, तुलसी विवाह की पौराणिक कथा, पूजा की विशेष विधि और मंत्रों के बारे में विस्तार से बताया गया. साथ ही, शीघ्र विवाह, सुखी वैवाहिक जीवन और कर्ज मुक्ति के लिए किए जाने वाले विशेष ज्योतिषीय उपायों पर भी प्रकाश डाला गया.

अक्षय नवमी पर आंवले में विष्णु का वास! जानें चमत्कारी फल से आरोग्य-धन प्राप्ति के महाउपाय

30 अक्टूबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना और स्वीकार्य' में आज अक्षय नवमी के पर्व और आंवले के दिव्य महत्व पर चर्चा की गई. जानकारों के अनुसार, शास्त्रों में आंवले को दैवीय फल माना गया है, जिसके बारे में पद्मपुराण और स्कंदपुराण में विवरण मिलता है कि 'आंवला ब्रह्मा जीके आंसू से उत्पन्न हुआ है'. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष विधान है क्योंकि कार्तिक शुक्ल नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु स्वयं इस वृक्ष में निवास करते हैं. कार्यक्रम में बताया गया कि कैसे इस दिन पूजा-अर्चना और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है. साथ ही, Chyawan Rishi द्वारा आंवले के सेवन से यौवन प्राप्त करने और भगवान कृष्ण के इसी तिथि पर मथुरा प्रस्थान करने जैसी पौराणिक कथाओं पर भी प्रकाश डाला गया.

गोपाष्टमी का पर्व कल, संतान, जानें गौ पूजन का सही विधान

29 अक्टूबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में एंकर सुनीता राय शर्मा ने गोपाष्टमी पर्व के महत्व, भगवान श्री कृष्ण से इसके संबंध और गौ पूजन के विधान पर विस्तार से चर्चा की। ज्योतिष के जानकार बताते हैं, 'जिन व्यक्तियों के दांपत्य जीवन में विघ्न आता हो वो गोपा अष्टमी वाले दिन गाय का पूजन करें... तो आपके घर में सुख शांति बनेगी'। कार्यक्रम में बताया गया कि कैसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण ने पहली बार गाय चराने की लीला शुरू की, जिसके बाद से यह पर्व मनाया जाने लगा। इस दिन गाय और बछड़े की सेवा और पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही, संतान प्राप्ति, नौकरी-व्यापार में सफलता और पारिवारिक सुख के लिए विशेष उपाय भी बताए गए हैं, जिनसे सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

संध्या पूजा से घर में कभी नहीं होगी पैसों की कमी, जानें सही विधि

28 अक्टूबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में एंकर गीतिका पंत ने संध्या पूजन और दीपदान की महिमा पर चर्चा की। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि 'जो व्यक्ति संध्या पूजन करता है, वह सबसे पहले सूर्य की कृपा प्राप्त करता है, जिससे उसे मान, सम्मान, आरोग्यता, धन और वैभव सब प्राप्त होता है।' संध्या वंदन दिन में तीन बार-सूर्योदय, मध्याह्न और सूर्यास्त के समय किया जा सकता है। नियमित संध्या पूजन से न केवल आध्यात्मिक और मानसिक क्षमता का विकास होता है, बल्कि शनि जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव भी दूर होते हैं। इसके साथ ही, कार्तिक मास में दीपदान के महत्व को भी रेखांकित किया गया। पद्म पुराण और अग्नि पुराण का उल्लेख करते हुए बताया गया कि दीपदान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। कार्यक्रम में पूजन की सही विधि और सावधानियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।

महापर्व छठ: क्यों होता है 36 घंटे का निर्जला व्रत? रामायण-महाभारत से जुड़ा है संतान वरदान का रहस्य!

27 अक्टूबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के विशेष कार्यक्रम 'प्रार्थना हो स्वीकार' में गीतिका पंत के साथ जानिए लोक आस्था के महापर्व छठ की महिमा. इस विशेष रिपोर्ट में छठ पूजा के चार दिवसीय कठिन अनुष्ठान, जिसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत भी शामिल है, की विस्तृत जानकारी दी गई है. कार्यक्रम में एक विशेषज्ञ ने बताया कि 'षष्ठी देवी का ही लौकिक नाम छठमइया कहलाया गया है और ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में छठे दिन उसका भाग्य लिखा जाता है'. इस पर्व का पौराणिक संबंध रामायण और महाभारत काल से भी है, जब माता सीता और द्रौपदी ने भी सूर्यदेव की उपासना कर अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि का वरदान मांगा था. कार्यक्रम में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है.

केदारनाथ का शीतकालीन घर, जहां द्वारपाल हैं विष्णु-ब्रह्मा! जानें उषा-अनिरुद्ध के विवाह का रहस्य

26 अक्टूबर 2025

गुड न्यूज़ टुडे के खास शो 'प्रार्थना हो स्वीकार' में सुनीता राय शर्मा के साथ जानिए देवभूमि उत्तराखंड के ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर का दिव्य रहस्य, जो भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल है। रिपोर्ट के अनुसार एक संत बताते हैं, 'महाराजा मानधाता जी सूर्यवंशी राजा यूनासु जीके पुत्र थे। इस स्थान पर उन्होंने 12 साल तक भगवान शंकर जीके लिए कठोर साधना करी।' इसी तपस्या के बाद भगवान शिव 'ओंकार' ध्वनि में प्रकट हुए और यह स्थान ओंकारेश्वर कहलाया। यह मंदिर न केवल अपनी पौराणिक कथाओं, जैसे भगवान कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और उषा के विवाह, के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां गर्भगृह के बाहर द्वारपाल के रूप में भगवान ब्रह्मा और विष्णु की प्रतिमाएं स्थापित हैं। सर्दियों में जब केदारनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं, तब बाबा केदार की पूजा-अर्चना छह महीने तक यहीं संपन्न होती है।