सभी मंत्रों में सबसे प्रभावशाली जिस मंत्र को माना जाता है.. वो हैं गायत्री मंत्र. गायत्री को वेदमाता कहा जाता है. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि मंत्रों में वो गायत्री मंत्र हैं. देवी गायत्री को वेद माता कहा जाता है. मान्यता है कि इन्हीं से वेदों की उत्पत्ति हुई है. मां गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी कहा गया है. वेदों से लेकर धर्म शास्त्रों तक समस्त दिव्य ज्ञान गायत्री के बीजाक्षरों का ही विस्तार है.
सनातन धर्म में किसी मंगल कार्य की शुरुआत हो ही नहीं सकती जब तक गणपति का पूजन न हो. सनातन धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूज्य माने जाते हैं. घर में कोई भी शुभ काम हो, सबसे पहले श्री गणेश का आहवान किया जाता है, सबसे पहले गणेश जी को पूजा जाता है. मान्यता है कि सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने से सारे काम सफल होते हैं. गणेश जी के कई नाम हैं. गणपति का हर नाम उनके रूप और उनकी लीलाओं से जुड़ा है.
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने में राधा जी का जन्म हुआ था. इस दिन को राधाष्टमी के नाम से मनाया जाता है. राधा जी का जन्म कृष्ण के साथ सृष्टि में प्रेम भाव मजबूत करने के लिए हुआ था. कुछ लोग मानते हैं कि राधा एक भाव है, जो कृष्ण के मार्ग पर चलने से प्राप्त होता है. हर वह व्यक्ति जो कृष्ण के प्रेम में लीन होता है, राधा कहलाता है. राधाष्टमी भगवान और मनुष्य के बीच एक अद्वितीय संबंध का प्रतीक है, जो श्रीकृष्ण और राधारानी के निःस्वार्थ दैवीय प्रेम बंधन को दर्शाता है.
गजानन की उपासना से आपको विद्या और बुद्धि का महावरदान मिलेगा. इन दिनों गणेशोत्सव के पावन दिन चल रहे हैं. ऐसे में गणपति की उपासना का हर दिन सर्वकल्याणकारी और महत्वपूर्ण है. गणपति की कृपा से आप एकाग्र होकर अपने सभी काम कर पाएंगे. आपकी बुद्धि तेज हो जाएगी और सोचने-समझने की क्षमता भी बढ़ जाएगी. गणेश महोत्सव के दिनों में गणेश की उपासना से बुद्धि तेज होती है.
यूं तो श्री गणेश के हजारों मंत्र श्लोक और स्तोत्र हैं और सबकी अपनी महिमा है लेकिन गौरी नंदन की उपासना का एक स्तोत्र ऐसा भी है जिसके जाप से एक साथ सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. अथर्वशीर्ष स्तोत्र अथर्ववेद के गणपति उपनिषद से लिया गया है. अथर्ववेद सनातन परंपरा का प्रमाणित ग्रंथ है, अथर्व का अर्थ होता है कार्य की शीघ्र सिद्धि. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ सुबह और शाम दोनों पहर किया जा सकता है. अथर्वशीर्ष में सबसे पहले गणपति की स्तुति की गई है.
गणेशोत्सव शुरू हो गया है, भक्त गजानन को प्रसन्न करने में लगे हैं. रिद्धि सिद्धि के दाता के 10 दिनों तक धरती पर रहने के पर्व की महिमा अपार है. लंबोदर के आशीष से रिद्धि और सिद्धि आती है. कहते हैं गणेश चतुर्थी से लेकर पूरे गणेश महोत्सव तक बप्पा की पूजा-उपासना कई गुना ज्यादा फलदायी और प्रभावशाली हो जाती है. गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि, जिसमें गणेश जी धरती पर निवास करते हैं,अनंत चतुर्दशी तक चलती है.
गणेश महोत्सव गणेश जी के प्राकट्य के लिए मनाया जाता है. गणेश जी का प्राकट्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था. माना जाता है कि चतुर्थी से लगभग दस दिनों तक भगवान गणेश धरती पर रहते है. इस अवधि में भगवान गणेश धरती पर आकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि, जिसमे गणेश जी धरती पर निवास करते हैं, अनंत चतुर्दशी तक चलती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने वर्षों तक घोर तपस्या की थी ऐसे में हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन पर्व के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि माता पार्वती के कठोर तप को देखकर शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से अच्छे पति की कामना और लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखा जाता है.
शिक्षा, करियर, सेहत में सफल होने के क्या उपाय हैं. कैसे आपकी किस्मत हर जगह चमकेगी. नौकरी में सफल होना हो तो क्या करें कैसे खुद को तैयार करें. मंत्रों के जरिए कैसे अपनी किस्मत संवारे. देखिए
मां लक्ष्मी की कृपा जिसपर भी होती है उसे कभी धन से जुड़ी कोई समस्या नहीं आती. धन हर कोई पाना चाहता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हर कोई पाना चाहता है लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें. कुछ खास चीजों का प्रयोग करके आप मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं.
ईश्वर से अपने दिल की बात कहना ही प्रार्थना है. प्रार्थना से व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ती का प्रयास करता है. तंत्र, मंत्र, ध्यान और जाप भी प्रार्थना का ही एक रूप है. प्रार्थना की वजह से प्रकृति में आपके अनुरूप बदलाव आते हैं. कोई प्रार्थना एक साथ कई लोग करें तो वो ज्यादा प्रभावशाली होती है. प्रार्थना सरल और साफ तरीके से की जानी चाहिए. जानिए प्रार्थना से जुड़े नियम