अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. इसी दिन माँ लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों की समस्याओं को दूर करने का वरदान देती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसलिए धन प्राप्ति के लिए यह तिथि उत्तम है.