प्रार्थना और स्वीकार कार्यक्रम में विघ्न विनाशक प्रथम पूजनीय गणपति की महिमा पर चर्चा की गई. बताया गया कि कैसे श्री गणेश की कृपा से जीवन में शुभता का प्रवेश होता है और हर विघ्न बाधा दूर होती है. पुराणों के अनुसार, गणपति का वाहन मूषक और प्रिय भोग मोदक है. मूषक को वाहन बनाने की कथा के साथ संतान प्राप्ति और धन लाभ के लिए मूषक के दिव्य प्रयोग बताए गए. संतान के लिए मिट्टी या चांदी का चूहा अर्पित कर शयन कक्ष में रखने का उपाय बताया गया, वहीं धन के लिए चांदी का चूहा पीले वस्त्र में लपेटकर धन स्थान पर रखने का प्रयोग बताया गया. कार्यक्रम में मोदक और लड्डू के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया. ज्योतिषियों के अनुसार, "एक लड्डू अकेला नव ग्रहों को नियंत्रित कर सकता है" लड्डू की गोल आकृति बुध, मिठास सूर्य-मंगल, सुगंध चंद्रमा, मेवे शुक्र और पीला रंग बृहस्पति का प्रतीक हैं. इसके असमान दाने राहु-केतु को भी नियंत्रित करते हैं. आर्थिक लाभ के लिए 108 लड्डू अर्पित कर 'ओम गणेश' मंत्र जपने का उपाय भी बताया गया. पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर का भी दर्शन कराया गया, जहां भगवान गणेश की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा स्थापित है. यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए विख्यात है.