गुड न्यूज़ टुडे के खास शो 'प्रार्थना हो स्वीकार' में सुनीता राय शर्मा के साथ जानिए देवभूमि उत्तराखंड के ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर का दिव्य रहस्य, जो भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल है। रिपोर्ट के अनुसार एक संत बताते हैं, 'महाराजा मानधाता जी सूर्यवंशी राजा यूनासु जीके पुत्र थे। इस स्थान पर उन्होंने 12 साल तक भगवान शंकर जीके लिए कठोर साधना करी।' इसी तपस्या के बाद भगवान शिव 'ओंकार' ध्वनि में प्रकट हुए और यह स्थान ओंकारेश्वर कहलाया। यह मंदिर न केवल अपनी पौराणिक कथाओं, जैसे भगवान कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और उषा के विवाह, के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां गर्भगृह के बाहर द्वारपाल के रूप में भगवान ब्रह्मा और विष्णु की प्रतिमाएं स्थापित हैं। सर्दियों में जब केदारनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं, तब बाबा केदार की पूजा-अर्चना छह महीने तक यहीं संपन्न होती है।