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Kajri Teej और Bahula Chaturthi का महासंयोग, पाएं गौरी-शंकर का आशीर्वाद, जानिए महिमा, व्रत विधि और महाउपाय

भाद्रपद माह में कजरी तीज और बहुला चतुर्थी का विशेष महत्व है। कजरी तीज का व्रत विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, माता पार्वती ने 108 वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। यह व्रत निर्जला रखा जाता है और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूर्ण किया जाता है। बहुला चतुर्थी का व्रत संतान की सुरक्षा और उन्नति के लिए किया जाता है.